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पाइथाॅन रैक का संचालन

 पाइथाॅन रैक का संचालन

रेलवे मे  दिन-प्रतिदिन बढ़ते हुए यातायात को देखते हुए भारतीय रेलवे अपनी संचालन लागत कम करने के दृष्टिकोण से थ्रू-पुट को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। इस हेतु कई उपाय किए जा रहे हैं जैसे - 

वैगनो  की डिजाइन मे  परिवर्तन करके भार क्षमता को बढ़ाना, प्रत्येक गाड़ी मे  वैगनों की संख्या मे  बढ़ोत्तरी करके तथा एक्सल भार बढ़ाकर। इस संदर्भ मे  ‘डेडीकेटेड फ्रेट कोरीडोर’ बनाने की भी योजना है। परन्तु जब तक ये किया जाए तब तक रेलवे ने कुछ सेक्शनो  पर इस हेतु ‘लाँग हाॅल गाड़ी’ चलाने का निर्णय लिया है। ‘‘एक से अधिक खाली या भरे मानक गाड़ियों के रैक को जोड़कर चलाने को ‘लाँग हाॅल गाड़ी’ के नाम से जाना जाता है, जिसे ‘‘पायथाॅन रैक’’ कहते हैं। इस शब्द को गाड़ी के नाम के आगे जोड़ा जाता है और फाॅइस व कन्ट्रोल
चार्ट में स्पष्ट दर्शाया जाता है। ऐसी गाड़ियों को चलाने से थ्रू-पुट मे  वृद्धि होती है, व्यस्त मार्गो  पर गाड़ियाँ के दबाव को कम करने में आसानी रहती है एव  गाड़ियो  की संख्या में कमी करने के कारण रोलिंग स्टाॅक की औसत गति बढ़ाने में मदद मिलती है। वर्तमान मे  ट्रायल आधार पश्चिम रेलवे सहित कई रेलवे पर ऐसी गाड़ियाँ रेलवे बोर्ड द्वारा जारी पाॅलिसी/निर्देश के अनुसार चलाई जा रही हैं। लाग हाॅल गाड़ी चलाने की पाॅलिसी/गाइडलाइन एवं नियम - 

  • संबंधित रेलवे अपनी क्षेत्रीय रेलवे मे  ऐसी गाड़ी चलाने हेतु सेक्शन की पहचान करेगी व ‘पायथाॅन’ रैक बनाने हेतु पाॅइन्ट नामित करेगी। 
  • ‘पायथाॅन’ रैक गाड़ी परीक्षक की उपस्थिति मे  बनाया जाएगा। जिन पाॅइन्ट पर गाड़ी परीक्षक न हो वहाँ उसकी व्यवस्था की जाएगी। 
  • गाड़ी के लिए ‘कम्बाइन्ड ब्रेक पावर’ प्रमाणपत्र जारी किया जाएगा। 
  • ऐसा रैक सिंगल पाइप एयर ब्रेक सिस्टम का होगा। 
  • जोड़े गए प्रत्येक गाड़ी के रैक के लिए अलग से वैध ब्रेक पावर प्रमाणपत्र अलग-अलग होने चाहिए। 
  • जोड़े जाने वाले रैको  में से जिस रैक की सेक्शन मे  गति सबसे कम हो, वही गति ‘पायथाॅन’ रैक की होगी। 
  • 9000 टन से अधिक भार एव  60 कि.मी.प्र.घ. से अधिक गति वाली लाँग हाॅल गाड़ियों को आर.डी.एस.ओ. द्वारा ट्रायल करने के बाद ही चलाने की अनुमति दी जाएगी। 
  • परिचालनिक आवश्यकतानुसार ऐसे रैक को अधिसूचित स्टेशन पर ही अलग किया जाएगा फिर भी किसी सवारी गाड़ी को प्राथमिकता देने या क्राॅसिंग करने या किसी अन्य आवश्यक परिस्थिति मे  गाड़ी को पर्याप्त सावधानी रखते हुए अन्य किसी स्टेशन पर भी अलग किया जा सकता है। 
  • लाँग हाॅल गाड़ी के रैक का कम्पोजीशन - अगला भाग खाली गाड़ी  पिछला भाग खाली गाड़ी या अगला भाग भरी गाड़ी $ पिछला भाग खाली गाड़ी या अगला भाग भरी गाड़ी  पिछला भाग भरी गाड़ी होगा। 


गाड़ी परीक्षक की आवश्यकता - 
  • गाड़ी परीक्षक ब्रेक कन्टीन्यूटी की जाँच करने के बाद आगे के लोको व अन्तिम वाहन के ब्रेक पावर प्रमाणपत्र विवरण को दर्शाते हुए ‘कवर ब्रेक पावर प्रमाणपत्र’ जारी करने की व्यवस्था करेगा। 
  • कवर ब्रेक पावर प्रमाणपत्र में अलग अलग रैक के मूल ब्रेक पावर को भी दर्शाया जाएगा। 
  • आगे के लोको में 5 कि.ग्रा./से.मी. 2 तथा पिछले ब्रेकवान मे  कम से कम 4.7 कि.ग्रा./ से.मी. 2 होगा। 
  • लाँग हाॅल गाड़ी के लिए पहचान किए गए सेक्शनों में अतिरिक्त विशेष टर्मीनशन इंजीनियरिंग इंडीकेटर लगाए जाएंगे। 
  • यात्रा के दौरान लोको पायलट व गार्ड के बीच संचार के लिए तथा रैक के फाॅरमेशन के लिए गाड़ी परीक्षक को पहले से परीक्षण किए गए पर्याप्त क्षमता वाले वाॅकी-टाॅकी सेट उपलब्ध कराए जाएंगे। 
  • लोको पायलट व गार्ड के बीच संचार हेतु सा. एवं स.नि. 4.50 के अनुसार सीटी कोड का उपयोग भी किया जाएगा। 
  • यात्रा के दौरान यदि वाॅकी-टाॅकी संचार साधन खराब हो जाता है तो अगले स्टेशन पर लाँग हाॅल संचलन को समाप्त कर दिया जाएगा। इसी प्रकार संचार खराबी के दौरान लाँग हाॅल गाड़ी का संचालन नहीं किया जाएगा। यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अगले लोकोमोटिव मे  रीहास्टट ब्रेक/डायनामिक ब्रेक कार्यशील स्थिति मे  है। 


लोकोमोटिव का कार्य -




  • बीच की यूनिट से मैनुअली सी-2 (ब्रेक प्रेशर चार्जिंग वाल्व) रिले वाल्व को काटकर यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए। 
  • जब दोनों रैक को अलग किया जाए तो सी-2 रिले वाल्व की सैटिंग को पुनः सही कर देना चाहिए ताकि पीछे की गाड़ी सामान्य तरीके से चार्ज हो जाए। रु खींचे जा रहे लोड के आधार पर चुना जा सकता है। 
इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव के साथ कार्यप्रणाली - 
  • जब अगला भाग भरा हुआ व पिछला भाग खाली के कोम्बीनेशन के साथ गाड़ी खींची जाए तो कम से कम अगली मल्टीपल यूनिट के पाँच कम्प्रेशर चालू स्थिति में होने चाहिए। 
  • बीच के लोकोमोटिव द्वारा एयर प्रेशर चार्ज करने की अनुमति नहीं है। 
  • गाड़ी को अगला लोकोमोटिव चलाएगा एव  बीच वाला लोको आवश्यकतानुसार अतिरिक्त शक्ति प्रदान कर सकता है। 

गाड़ी रवाना करते समय सावधानी - 
  • यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि अगले लोकोमोटिव में  5 कि.ग्रा./से.मी. 2 तथा अन्तिम ब्रेकवान मे  कम से कम 4.7 कि.ग्रा./से.मी. 2 ब्रेक पावर प्रेशर है। 
  • गाड़ी रवाना करने से पूर्व अन्तिम ब्रेकवान मे  आवश्यक प्रेशर आ चुका है इसे अगले लोको पायलट को वाॅकी-टाॅकी द्वारा बताने की जिम्मेदारी पिछले ब्रेकवान के गार्ड की है। 
  • अगले रैक का गार्ड अपनी गाड़ी के ब्रेकवान या बीच के लोकोमोटिव मे  यात्रा करेगा एवं पिछले रैक का गार्ड अन्तिम ब्रेकवान मे रहेगा तथा पूरी गाड़ी की संचालन व संरक्षा की जिम्मेदारी उसकी रहेगी। 
  •  लाँग हाॅल गाड़ियों के संचालन हेतु परिचालन एव  ट्रैक्शन के पर्यवेक्षक/अधिकारियों की टीम द्वारा ऐसी गाड़ी चलाने के संबंध मे  जानकारी एव  एक दिन का प्रशिक्षण गाड़ी कर्मीदल एवं गार्ड को दिया जाएगा। 
  •  जिस सेक्शन मे  ऐसी गाड़ियो  का संचालन होगा, उस सेक्शन के स्टेशन कर्मचारियों को भी इस संबंध में प्रशिक्षित किया जाएगा।
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