अधिनियम - इसका अभिप्राय रेल अधिनियम 1989 (1989 का 24वां) से है।
अनुमोदित विशेष अनुदेश - इसका अभिप्राय रेल संरक्षा आयुक्त द्वारा अनुमोदित या निर्धारित विशेष अनुदेश से है।
अधिकृत अधिकारी - इसका अभिप्राय रेल प्रशासन के विशेष आदेश द्वारा नाम से अथवा पद की हैसियत से अनुदेश देने या कोई अन्य कार्य करने के लिए नियुक्त किये गये व्यक्ति से है। मुख्य परिचालन प्रबन्धक (ब्व्ड) अधिकृत अधिकारी हैं जो पद के आधार पर सहायक नियमो को जारी करने, संशोधन करने व समाप्त करने का अधिकार रखते हैं।
प्रस्थान आदेश - वह आदेश जो कार्यपद्धति के अन्तर्गत गाड़ी के लोको पायलट को अपनी गाड़ी के साथ ब्लाॅक सेक्शन मे जाने के लिए दिया जाता है।
एक्सल काउन्टर - इसका अभिप्राय रेलपथ पर दो स्थानो पर लगाये गये ऐसे विद्युत यंत्र से है जो कि उनके बीच आने तथा जाने वाले एक्सलों की गिनती करके यह सिद्ध करता है कि उन दो स्थानो के बीच रेलपथ खाली है अथवा नहीं।
ब्लाक बैक - इसका अभिप्राय डबल लाइन पर किसी ब्लाॅक स्टेशन से पिछले निकटवर्ती ब्लाॅक स्टेशन को और सिंगल लाइन पर किसी भी निकटवर्ती ब्लाॅक स्टेशन को यह संदेश भेजने से है कि ब्लाॅक सेक्शन अवरूद्ध है या होने वाला है।
ब्लाक फाॅरवर्ड - इसका अभिप्राय डबल लाइन पर किसी ब्लाॅक स्टेशन से अगले निकटवर्ती ब्लाॅक स्टेशन को यह संदेश भेजने से है कि ब्लाॅक सेक्शन अवरूद्ध है या होने वाला है।
ब्लाक सेक्शन - इसका अभिप्राय दो ब्लाॅक स्टेशनों के बीच रनिंग लाइन के उस भाग से है जिस पर कोई भी रनिंग गाड़ी तब तक प्रवेश नहीं कर सकती जब तक कि ब्लाॅक सेक्शन के दूसरे सिरे पर स्थित ब्लाॅक स्टेशन से लाइन क्लियर प्राप्त नहीं हो जाए।
रेल संरक्षा आयुक्त - रेल संरक्षा आयुक्त का अभिप्राय उस रेल संरक्षा आयुक्त से है जो अधिनियम के अन्तर्गत किन्हीं कार्यो के पालन के लिए नियुक्त किया गया है और इसके अन्तर्गत मुख्य रेल संरक्षा आयुक्त भी सम्मिलित है।
सक्षम रेल कर्मचारी - इसका अभिप्राय उस रेल कर्मचारी से है जो प्रशिक्षित है और जो कार्य उसे सौपा जाए उसे वह पूरा कर सकने में सक्षम है।
कनेक्शन - जब इसका उपयोग रनिंग लाइन के संदर्भ मे किया जाए तो इसका अभिप्राय उन पाॅइन्ट, क्राॅस ओवर या अन्य साधनो से है जो रनिंग लाइन को अन्य लाइनों से जोड़ने के लिए या उसे पार करने के लिए उपयोग मे लाए जाते है ।
कंट्रोलर - इसका अभिप्राय ड्यूटी पर नियुक्त उस रेल कर्मचारी से है जो उस समय रेल की सम्भाषण प्रणाली से सुसज्जित भाग पर यातायात के संचालन के लिए जिम्मेदार है।
लोको पायलट - लोको पायलट का अर्थ इंजन लोको पायलट या उस सक्षम रेल कर्मचारी से है, जिसे उस समय गाड़ी चलाने हेतु नियुक्त किया गया है।
फेसिंग पाइन्ट एवं ट्रेलिंग पाइन्ट - कोई भी पाॅइन्ट उसके ऊपर से गुजरने वाली गाड़ी की दिशा के अनुसार फेसिंग या ट्रेलिंग होता है, यदि किसी पाॅइन्ट को संचालित करने से उसकी ओर आती हुई गाड़ी उस लाइन से सीधे दूसरी लाइन पर भेजी जा सकती हो तो उसे फेसिंग पाॅइन्ट तथा वही पाॅइन्ट विपरीत दिशा की गाड़ी के लिए ट्रेलिंग कहलाता है।
दिन - दिन का अर्थ सूर्योदय से सूर्यास्त तक के समय से है।
स्थाई सिगनल - स्थाई सिगनल का अर्थ निर्धारित स्थान पर लगे सिगनलों से है जो गाड़ियो के संचालन को प्रभावित करते हैं। इसके अन्तर्गत दिन मे उपयोग के लिए डिस्क, भुजा या स्थाई बत्ती तथा रात मे उपयोग के लिए स्थाई बत्ती शामिल हैं।
फाउलिंग मार्क - यह एक निशान है जो दो लाइनों के बीच उस स्थान पर लगाया जाता है जहाँ से दो लाइनों के एक दूसरे को पार करने या मिलने की वजह से उनके बीच की मानक दूरी का उल्लंघन होता है। इसे पुराने स्लीपर या सीमेन्ट काॅन्क्रीट से बनाया जाता है। इसका रंग सफेद होता है तथा इस पर दो काली खड़ी लाइनें बनाकर अँग्रेजी में थ्ड या हिन्दी में जा.प. लिख दिया जाता है। इसके अलावा इस पर एक संख्या लिखी होती है जो उस लाइन पर दोनों ओर के फाउलिंग मार्क के बीच खड़ी हो सकने वाले इंजन सहित चार पहियों वाले डिब्बों की क्षमता को दर्शाता है।
मालगाड़ी - इसका अभिप्राय उस गाड़ी (सामान गाड़ी के अलावा) से है जो केवल जानवरों व माल को ले जाने के लिए होती है।
गाड़ी - इसका अभिप्राय किसी इंजन जिसके साथ वाहन लगे हो या नहीं या कोई स्वचलित वाहन अकेला या ट्रेलर के साथ, जिसे आसानी से लाइन पर से उठाया न जा सके।
सामान गाड़ी - इसका अभिप्राय उस विभागीय गाड़ी से है जो केवल या मुख्यतः रेलवे का सामान ले जाने के लिए होती है। जो किसी कार्य को पूरा करने के लिए स्टेशन सीमा मे या ब्लाॅक सेक्शन मे सामान को उतारने या चढ़ाने के लिए होती है।
मिश्रित गाड़ी - मिश्रित गाड़ी का अभिप्राय यात्री और माल अथवा यात्री, पशु व माल ढोने वाली गाड़ी से है।
सवारी गाड़ी - सवारी गाड़ी से अभिप्राय उस गाड़ी से है जो विशेष रूप से यात्रियों और कोचिंग यातायात को ले जाने के लिए होती है और इसमें सैनिक गाड़ी भी शामिल है।
गार्ड - वह रेल कर्मचारी जो किसी रेलगाड़ी का इन्चार्ज हो। इसमे ब्रेक्समेन या कोई अन्य रेल कर्मचारी भी सम्मिलित है जो कि उस समय गार्ड का कार्य कर रहा हो।
रेलपथ या कार्य निरीक्षक (सेक्शन इंजीनियर - रेलपथ/कार्य) - इसका अर्थ है वह निरीक्षक या सहायक निरीक्षक जो रेलपथ, पाॅइन्ट, सिगनल, पुल या इससे सम्बन्धित दूसरे कार्यो के निर्माण, उनके अनुरक्षण के लिए जिम्मेदार है।
मध्यवर्ती ब्लाक पोस्ट - इसका अभिप्राय डबल लाइन के उस ‘सी’ क्लास स्टेशन से है जिसका नियन्त्रण पिछले ब्लाॅक स्टेशन से होता है। मध्यवर्ती ब्लाॅक सिगनलिंग (प्ठै) - डबल लाइन पर यह एक ऐसी सिगनलिंग व्यवस्था है जिसमें एक लम्बे ब्लाॅक सेक्शन को मध्यवर्ती ब्लाॅक पोस्ट लगाकर दो भागों में विभाजित किया जाता है।
आइसोलेशन - यह एक व्यवस्था है जिसमें पाॅइन्ट को सेट करके या किसी अन्य अनुमोदित साधन द्वारा एक लाइन को दूसरी लाइन से इस तरह अलग कर दिया जाता है कि उसे दूसरी लाइन या लाइनो से कोई रुकावट या खतरा न हो। जिस स्टेशन पर मेन लाइन से रनिंग थ्रू गुजरने वाली गाड़ियों की गति 50 कि.मी.प्र.घ. से अधिक हो वहाँ मेन लाइन को अन्य लाइनो से आइसोलेट रखा जाएगा। आइसोलेशन का उपयोग करके गाड़ियों को स्टेशन पर एक साथ लिया भी जा सकता है तथा रवाना भी किया जा सकता है। आइसोलेशन देने के लिए निम्न साधनों का उपयोग किया जाता है -
- पाॅइन्ट को सेट करके
- डेड एन्ड के द्वारा
- ट्रेप पाॅइन्ट के द्वारा
- स्काॅच ब्लाॅक के द्वारा
- डिरेलिंग स्विच के द्वारा
- हैज डिरेल के द्वारा
अन्तिम रोक सिगनल - इसका अभिप्राय उस स्थाई रोक सिगनल से है जो कि ब्लाॅक सेक्शन मे गाड़ी के प्रवेश को नियंत्रित करता है।
समपार - इसका अभिप्राय उस स्थान से है जहाँ सड़क व रेल यातायात एक दूसरे को समान धरातल पर पार करते हैं।
समपार फाटक - इसका अभिप्राय समपार पर सड़क को बन्द करने वाले चल अवरोध से है जिसके अन्तर्गत चैन भी शामिल है, किन्तु इसके अन्तर्गत पैदल चलने वालों के उपयोग के लिए छोटे दरवाजे या चक्रद्वार शामिल नहीं है।
लाइन क्लियर - इसका अभिप्राय उस अनुमति से है जो एक ब्लाॅक स्टेशन द्वारा अपने पिछले ब्लाॅक स्टेशन को किसी गाड़ी के लिए, पिछले ब्लाॅक स्टेशन को छोड़ने व अपनी ओर आने के लिए दी जाती है या वह अनुमति है जो एक ब्लाॅक स्टेशन द्वारा अपने स्टेशन से अगले ब्लाॅक स्टेशन को गाड़ी भेजने के लिए अगले ब्लाॅक स्टेशन से प्राप्त की जाती है।
मेन लाइन - वह लाइन जिसका उपयोग सामान्यतया गाड़ियों को स्टेशन से या स्टेशनों के बीच बिना रुके जाने के लिए होता है।
रनिंग लाइन - वह लाइन जो एक या एक से अधिक सिगनलों द्वारा नियंत्रित होती है, इसमे ं यदि कोई कनेक्शन हो तो वह भी शामिल है, जिसका उपयोग गाड़ी के स्टेशन में प्रवेश होते समय, स्टेशन से रवाना होते समय या स्टेशन से रनिंग थ्रू जाते समय या स्टेशनों के बीच गुजरते समय होता है।
दो संकेतीय सिगनल व्यवस्था - वह सिगनल व्यवस्था जिसके अन्तर्गत प्रत्येक सिगनल में दो संकेत होते हैं एवं एक समय पर दोनों संकेतों मे से कोई एक संकेत बताता है।
बहु संकेतीय सिगनल व्यवस्था - वह सिगनल व्यवस्था जिसमे सिगनल एक समय मे तीन या अधिक संकेतों मे से कोई एक संकेत बताता है और इसमें प्रत्येक सिगनल अपने आगे आनेवाले सिगनल के संकेत की पूर्व चेतावनी देता है।
रुकावट - इसका अभिप्राय कोई गाड़ी, वाहन या अवरोध जो लाइन पर हो या लाइन को अवरोधित कर रहा हो अथवा कोई ऐसी स्थिति जो गाड़ियों के संचालन के लिए खतरनाक हो, रुकावट कहलाती है।
रात - इसका अभिप्राय सूर्यास्त से सूर्योदय के समय से है।
पाइन्ट, ट्रेप व शन्टिंग परमीटेड इन्डीकेटर - ये सिगनल नहीं है बल्कि ऐसे उपकरण हैं जो पाॅइन्ट से जुड़े होते हैं व पाॅइन्ट के साथ ही संचालित होकर रात व दिन मे पाॅइन्ट की स्थिति बताते हैं। इन्डीकेटर निम्न प्रकार के होते हैं -
सफे द डिस्क वाला पाॅइन्ट इन्डीकेटर - ऐसा इन्डीकेटर लोको पायलट व अन्य कर्मचारियो को पाॅइन्ट के सेट होने की स्थिति बताता है। इसमे दो तरफ सफेद डिस्क होती है व दो तरफ कोई डिस्क नहीं होती। यह दिन मे डिस्क के द्वारा व रात मे बत्ती द्वारा संकेत बताता है। रात के लिए इसमे डिस्क के बीच मे सफेद बत्ती व दूसरी तरफ हरी बत्ती होती है। जब दिन मे सफेद डिस्क या रात मे सफेद बत्ती दिखाई दे रही हो तो इसका अर्थ है कि पाॅइन्ट सीधी लाइन के लिए लगा हुआ है। इसी तरह जब दिन में कोई डिस्क न दिखाई दे रही हो व रात के समय हरी बत्ती दिखाई दे रही हो तो इसका अर्थ है कि पाॅइन्ट टर्न आउट के लिए लगा हुआ है।
लाल डिस्क वाला पाइन्ट इन्डीकेटर - ऐसा इन्डीकेटर लोको पायलट व अन्य कर्मचारियो को पाॅइन्ट की स्थिति के साथ साथ खतरे की भी स्थिति बताता है। ऐसा इन्डीकेटर डेड एन्ड के पाॅइन्ट पर लगाया जाता है। इसमे दो तरफ लाल डिस्क व दो तरफ कोई डिस्क नहीं होती। यह दिन मे डिस्क के द्वारा व रात में बत्ती के द्वारा संकेत बताता है। रात के लिए इसमें लाल डिस्क के बीच में लाल बत्ती व दूसरी तरफ हरी बत्ती होती है। जब पाॅइन्ट खतरे की स्थिति में लगा हुआ हो तो दिन मे लाल डिस्क व रात मे दिखाई देती है, इसी तरह जब पाॅइन्ट टर्न आउट के लिए लगा हुआ हो तो दिन मे इसमे कोई डिस्क नहीं दिखाई देती व रात मे इसमें हरी बत्ती दिखाई देती है।
ट्रेप इन्डीकेटर - ट्रेप इन्डीकेटर गाड़ियों के लिए खतरे की स्थिति बताता है इसलिए उसमे उपरोक्त ‘लाल डिस्क वाले इंडीकेटर’ की स्थितियाँ ही होती है अर्थात जब ट्रेप खुली स्थिति मे हो तो दिन मे लाल डिस्क व रात मे लाल बत्ती दर्शाएगा व जब ट्रेप सेट हो तो दिन मे कोई डिस्क नहीं बताएगा व रात मे हरी बत्ती दर्शाएगा। कई स्थानो ं पर ट्रेप पाॅइन्टो पर इन्डीकेटर के स्थान पर रोक सिगनल भी लगाया जाता है।
शन्टिंग परमीटेड इन्डीकेटर - शन्टिंग परमीटेड इन्डीकेटर कलर लाइट सिगनल वाले बड़े बडे यार्डो के उस पाॅइन्ट पर लगाया जाता है जो कि रनिंग लाइन व नाॅन रनिंग लाइन यार्ड को अलग करता हैं यह शन्टिंग करने वाले लोको पायलट/शन्टर की जानकारी के लिए होता है। जब इसमे बत्ती जल रही हो तो उसे संकेत मिलता है कि दोनो यार्डों को जोड़ने वाला पाॅइन्ट आइसोलेट है।
रनिंग गाड़ी - इसका अर्थ उस गाड़ी से है जो प्रस्थान आदेश के अन्तर्गत अपनी यात्रा प्रारम्भ कर चुकी है परन्तु उसकी यात्रा समाप्त नहीं हुई है।
कार्य पद्धति - इसका अभिप्राय रेलवे के किसी भाग पर उस समय गाड़ी संचालन के लिए अपनाई गई पद्धति से है।
विशेष अनुदेश - इसका अभिप्राय समय समय पर अधिकृत अधिकारी द्वारा विशेष मामलों में या विशेष परिस्थितियों में जारी किए गए अनुदेशों से है। जो सामान्यतः निम्न के रूप में होते हैं -
- परिचालन नियमावली
- दुर्घटना नियमावली
- ब्लाॅक संचालन नियमावली
- संचालन समय सारिणी
- स्टेशन संचालन नियम
- संयुक्त प्रक्रिया आदेश (जे.पी.ओ.)
- समय समय पर जारी परिचालन संबंधी अन्य आदेश
स्टेशन मास्टर - इसका अभिप्राय ड्यूटी पर नियुक्त उस व्यक्ति से है जो उस समय स्टेशन सीमा के अन्दर यातायात के संचालन के लिये जिम्मेदार है और इसमे ऐसा व्यक्ति भी शामिल है जो उस समय स्वतंत्र रूप से किन्हीं सिगनलों के संचालन के प्रति उत्तरदायी हो तथा कार्य प्रणाली के अन्तर्गत लाइन क्लियर प्राप्त करने अथवा देने के कार्य के लिए जिम्मेदार हो।
स्टेशन सीमा - इसका अर्थ रेलवे लाइन के उस भाग से है जो स्टेशन मास्टर के नियंत्रण मे रहता है तथा स्टेशन के दोनो ओर के सबसे बाहरी सिगनलों के बीच स्थित होता है या विशेष अनुदेशों के द्वारा निर्धारित किया गया हो। डबल लाइन के स्टेशन पर यह प्रत्येक लाइन पर सबसे बाहरी सिगनलों के बीच स्थित होगा।
स्टेशन सेक्शन - इसका अभिप्राय ‘बी’ क्लास स्टेशन के उस भाग से है जहाँ लाइन क्लियर देने के बाद भी रुकावट की जा सकती है। यह निम्न प्रकार से होता है-
दो संकेतीय सिगनल व्यवस्था में -
- डबल लाइन पर होम सिगनल से अन्तिम रोक सिगनल के बीच का भाग दोनो लाइनो पर अलग-अलग।
- सिंगल लाइन पर दोनो ओर के एडवांस्ड स्टार्टर सिगनलों या शन्टिंग लिमिट बोर्डो के बीच, यदि ये दोनो स्टेशन पर न हो तो दोनो ओर के होम सिगनल या अनुमोदित विशेष अनुदेशो के अन्तर्गत यदि होम सिगनल भी न हो तो सबसे बाहरी फेसिंग पाॅइन्टो के बीच का भाग।
बहु संकेतीय सिगनल व्यवस्था मे -
- डबल लाइन में दोनो लाइनो पर ब्लाॅक सेक्शन लिमिट बोर्ड या सबसे बाहरी फेसिंग पाॅइन्ट व अन्तिम रोक सिगनल के बीच का भाग।
- सिंगल लाइन पर दोनो ओर के एड्वान्स्ड स्टार्टर सिगनलों या शन्टिंग लिमिट बोर्ड के बीच, यदि ये दोनो स्टेशन पर न हो तो दोनो ओर के सबसे बाहरी फेसिंग पाॅइन्टो के बीच का भाग।
सहायक नियम - इसका अभिप्राय उस विशेष अनुदेश से है जो उससे सम्बन्धित सामान्य नियमो के अधीन हैं और किसी भी सामान्य नियम से भिन्नता नहीं रखते हैं।
ट्रेक सर्किट - इसका अभिप्राय बिजली के उस सर्किट से है जो उस लाइन के किसी भाग पर किसी वाहन की उपस्थिति ज्ञात करने के लिए लगाया जाता है जिसकी पटरियां उस सर्किट का भाग हो।
स्टेशन - इसका अभिप्राय रेलवे लाइन पर स्थित वह स्थान जहाँ यातायात संभाला जाता है या कार्य पद्धति के अन्तर्गत प्रस्थान आदेश दिया जाता है।
स्टेशन का वर्गीकरण
इन नियमों के उद्देश्य से स्टेशन का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया जाता है -
ब्लाक स्टेशन - वे स्टेशन है जहाँ लोको पायलट को अपनी गाड़ी के साथ ब्लाॅक सेक्शन मे प्रवेश करने के लिए कार्य पद्धति के अनुसार प्रस्थान दिया जाता है। सम्पूर्ण ब्लाॅक पद्धति मे ब्लाॅक स्टेशन तीन प्रकार के होते हैं -
‘ए’ क्लास ब्लाक स्टेशन - वे स्टेशन होते हैं जहाँ किसी गाड़ी को लाइन क्लियर तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक कि वह लाइन जिस पर गाड़ी को लेना हो, होम सिगनल से 400 मीटर आगे तक या स्टार्टर सिगनल तक साफ न हो।
‘ए’ क्लास स्टेशन पर लगाए जाने वाले कम से कम सिगनल -
- दो संकेतीय सिगनल व्यवस्था में - वार्नर सिगनल, होम सिगनल व स्टार्टर सिगनल।
- बहु संकेतीय सिगनल व्यवस्था में - इस व्यवस्था में ‘ए’ क्लास स्टेशन नहीं होता है।
- ‘बी’ क्लास ब्लाक स्टेशन - वे ब्लाॅक स्टेशन होते हैं जहाँ स्टेशन सेक्शन मे रुकावट होने के बावजूद भी किसी गाड़ी को लाइन क्लियर दिया जा सकता है ।
- ‘बी’ क्लास स्टेशन पर स्टेशन सेक्शन का प्रावधान रखा गया है। ऐसे स्टेशन पर लगाए जाने वाले कम से कम सिगनल -
दो संकेतीय सिगनल व्यवस्था में -सिंगल लाइन पर - आउटर सिगनल व होम सिगनलडबल लाइन पर - आउटर सिगनल, होम सिगनल व स्टार्टर सिगनल
बहु संकेतीय सिगनल व्यवस्था मे - सिंगल लाइन व डबल लाइन पर डिस्टेन्ट सिगनल, होम सिगनल व स्टार्टर सिगनल
‘सी’ क्लास ब्लाक स्टेशन - वे ब्लाॅक हट होते हैं जहाँ पर किसी गाड़ी को लाइन क्लियर तब तक नहीं दिया जा सकता जब तक कि उससे पहले आने वाली गाड़ी होम सिगनल से आगे 400 मीटर न निकल गई हो और उसकी यात्रा जारी न हो। इसमे मध्यवर्ती ब्लाॅक पोस्ट भी सम्मिलित है।
सी’ क्लास स्टेशन पर कम से कम सिगनल -
- दो संकेतीय सिगनल व्यवस्था में - वार्नर सिगनल व होम सिगनल
- बहु संकेतीय सिगनल व्यवस्था मे - डिस्टेन्ट सिगनल व होम सिगनल
‘सी’ क्लास ब्लाॅक स्टेशन होम सिगनल ही अन्तिम रोक सिगनल होता है एवं ब्लाॅक उपकरण के साथ इन्टरलाॅक्ड रहता है जिसे अगले ब्लाॅक स्टेशन से लाइन क्लियर प्राप्त होने के बाद ही आॅफ किया जा सकता है।
नान-ब्लाक स्टेशन - दो ब्लाॅक स्टेशनों के बीच ऐसे स्टेशन जहाँ किसी गाड़ी के लोको पायलटको प्रस्थान आदेश नहीं दिया जाता है। ये स्टेशन ब्लाॅक सेक्शन की सीमा का निर्धारण नहीं करते हैं। ये दो प्रकार के होते हैं -
‘डी’ क्लास स्टेशन - वे फ्लेग स्टेशन होते है जो दो ब्लाॅक स्टेशनों के बीच स्थित होते हैं तथा जहाँ गाड़ियाँ समय सारिणी के अनुसार रुकती है और गार्ड के आॅल राइट संकेत पर चलती है।
‘डी के’ क्लास स्टेशन - ये दो ब्लाॅक स्टेशनों के बीच ब्लाॅक सेक्शन मे साइडिंग के रूप मे होते हैं जिसका नियंत्रण दोनो ओर मे से किसी एक ब्लाॅक स्टेशन के द्वारा होता है।
स्पेशल क्लास स्टेशन - जन स्टेशनों का संचालन उपरोक्त ब्लाॅक व नाॅन ब्लाॅक स्टेशन की शर्तो के अनुसार न होकर विशेष शर्तो के अनुसार होता हो, ऐसे स्टेशन को स्पेशल क्लास स्टेशन कहा जाता है।
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