मार्शलिंग एवं डेड इंजन का संचालन
डिब्बे या डिब्बो के समूह को किसी गाड़ी मे समय-समय पर जारी किए गए विशेष अनुदेशो के अनुसार गन्तव्य स्टेशनों के क्रमानुसार, डिब्बे में लदे माल व डिब्बे की किस्म के अनुसार, जंक्शन व वाया के अनुसार, गाड़ी की संरक्षा को ध्यान मे रखते हुए विशेष निर्धारित क्रम मे लगाकर गाड़ी तैयार करना मार्शलिंग कहलाता है अर्थात गाड़ी बनाने की व्यवस्थित एवं वैज्ञानिक विधि को मार्शलिंग कहते हैं जिससे परिचालन व संरक्षा संबंधी आवश्यकताएं पूरी होती है। आमतौर पर मार्शलिंग का कार्य सभी यार्डो में होता है परन्तु बड़े पैमाने पर मार्शलिंग का कार्य मार्शलिंग यार्डों में होता है। जहाँ इस कार्य के लिए सुविधाएं होती है। ये मार्शलिंग यार्ड तीन प्रकार के होते हैं - हम्प मार्शलिंग यार्ड, ग्रेविटी मार्शलिंग यार्ड व फ्लेट मार्शलिंग यार्ड। पश्चिम रेलवे मे केवल फ्लेट यार्ड ही हैं। मार्शलिंग यार्ड का कार्य एक पोस्ट आॅफिस की भाँति होता है जिसमे विभिन्न लाल डिब्बो से पत्र एकत्रित करके वहाँ लाए जाते हैं व वहाँ उनकी छँटनी करके अलग-अलग स्थानो के थैले बनाकर गन्तव्य की ओर भेज दिए जाते हैं। ठीक उसी प्रकार मार्शलिंग यार्ड मे विभिन्न दिशाओं से आने वाली गाड़ियों के डिब्बों की छँटनी करके अलग-अलग दिशाओं के लिए गाड़ी तैयार की जाती है व उन्हें गन्तव्य की ओर भेज दिया जाता है।
मार्शलिंग के उद्देश्य
- गाड़ियों की संरक्षा सुनिश्चित करना।
- यातायात की सुविधा, संचालन सुविधा बढ़ाकर कुशल परिचालन करना।
- परिवहन क्षमता में कमी न होने देना।
- यात्रा के दौरान गाड़ियों के विलम्ब को कम से कम करना।
- यार्डो के काम मे मितव्ययता लाना।
- पूर्ण वहन क्षमता का उपयोग करना।
- वैगनो की उपलब्धता मे वृद्धि करना।
- गाड़ियों का समयपालन बनाए रखना।
- निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करना।
- उपभोक्ताओं को संतुष्टि प्रदान करना।
- वैगन टर्न राउण्ड को कम करना।
सवारी गाड़ी की मार्शलिंग के नियम
सवारी गाड़ियों का मार्शलिंग ब्लाॅक रैक मे बताए क्रम मे ही होना चाहिए। यदि अपरिहार्य कारणोवश यह संभव न हो तो निम्न बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए -
- सवारी गाड़ी मे ऐसे वाहन ही लगाए जाने चाहिए जो कि उस गाड़ी की निर्धारित गति से चलने के लिए ‘फिट टू रन’ हो।
- प्रारिम्भक स्टेशन से सभी सवारी गाड़ियाँ 100 प्रतिशत ब्रेक पावर के साथ रवाना की जानी चाहिए अर्थात सभी डिब्बे कार्यशील ब्रेक सिलेन्डर वाले होने चाहिए।
- यात्रियों की संरक्षा के लिए मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट व यात्री गाड़ियों मे इंजन के साथ तथा अन्तिम वाहन के रूप में एन्टीटेलीस्कोपिक/स्टील बाॅडी एस.एल.आर./एल.आर. लगाया जाना चाहिए। यदि एस.एल.आर. लगाया जाए तो उसका यात्री वाला भाग गाड़ी के अन्दर की ओर होना चाहिए। यदि ऐसा करना संभव न हो तो उसके यात्री वाले भाग के दरवाजे व खिड़कियाँ बन्द करके उसमें ताला लगाकर उसे सेफ्टी कोच बना देना चाहिए। लगेज वाला भाग खाली हो तो उसे भी बन्द करके ताला लगा देना चाहिए।
- मेल, एक्सप्रेस, सुपरफास्ट गाड़ियों मे एस.एल.आर./एल.आर. के अन्दर आगे व पीछे कम से कम दो-दो तथा यात्री गाड़ियों में आगे व पीछे कम से कम एक-एक एन्टीटेलीस्कोपिक या स्टील बाॅडी कोच लगाए जाने चाहिए।
- शटल गाड़ियाँ जो सामान्यतया पाँच कोचों से चलती है उसमें एस.एल.आर./एल.आर. बीच मे तथा सबसे आगे व सबसे पीछे वाला कोच एन्टीटेलीस्कोपिक या स्टील बाॅडी होना चाहिए।
- रेलवे बोर्ड के विशेष आदेशों से जहाँ सात कोचों वाली शटल गाड़ियाँ चलाने की अनुमति है वहाँ एस.एल.आर./एल.आर. के बीच मे व दोनो ओर तीन-तीन कोच लगाए जाते हैं। इन गाड़ियों मे एक निरीक्षण यान पीछे लगाने की अनुमति है।
- मेल, एक्सप्रेस व यात्री गाड़ियाँ जिनकी गति ब्राॅडगेज में 75 कि.मी.प्र.घ. व मीटरगेज में 50 कि.मी.प्र.घ. से अधिक हो, चार पहिए वाले वाहन नहीं लगाए जाने चाहिए। किन्तु अनुमति से निरीक्षण यान लगाए जा सकते हैं। (इस नियम के संबंध में वर्किंग टाइम टेबल मे दिए गए निर्देशों का भी पालन किया जाना चाहिए)
- महिला कोच सुरक्षा की दृष्टि से गाड़ी में उचित स्थान पर या गार्ड के डिब्बे के पास लगाया जाना चाहिए।
- वी.आई.पी. कोच, एयर कन्डीशन कोच व उच्च श्रेणी के कोच भी जहाँ तक संभव हो, गाड़ी के बीच में लगाए जाने चाहिए।
- भोजनयान यदि अन्तराल दरवाजे वाला हो तो उसे गाड़ी मे सुविधानुसार कहीं भी अन्यथा सम्भवतः गाड़ी के बीच मे लगाया जाना चाहिए।
- डाक का डिब्बा ब्लाॅक रैक में निर्धारित स्थान पर ही लगाया जाना चाहिए जिससे डाक उतारने/चढ़ाने मे विलम्ब से गाड़ियों को कोई अतिरिक्त विलम्ब न हो।
- यात्री रहित डिब्बे को अन्तिम वाहन के रूप मे या इंजन के साथ लगाया जाना चाहिए।
- जनरेटर वान गाड़ी की किस्म के अनुसार गाड़ी में सुविधाजनक स्थान पर लगाया जा सकता है।
- स्लिप कोच ब्लाॅक रैक मे बताए गए क्रम के अनुसार ही लगाए जाने चाहिए। यदि क्रम परिवर्तित करना पड़े तो जिस स्टेशन पर स्लिप कोच काटा जाना है, उसे पूर्व मे सूचित किया जाना चाहिए।
- PDH के लिए शाॅप की ओर भेजे जा रहे डिब्बों को संरक्षा का ध्यान रखते हुए उचित स्थान पर लगाया जाना चाहिए। इनके खिड़की व दरवाजे बन्द करके ताला लगा दिया जाना चाहिए जिससे यात्री इसमे न बैठ सकें।
- गाड़ी के पीछे लगे एस.एल.आर./एल.आर. के पीछे परिचालनिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अधिकतम चार प्रभावी यूनिट (2 आठ पहिए वाले कोच) लगाए जा सकते है ।
- यात्री गाड़ी में निरीक्षण यान लगाना - यात्री गाड़ियों मे निरीक्षण यान (अधिकारी सैलून) लगाने के लिए मुख्यालय द्वारा जारी विशेष आदेश के अनुसार गाड़ियों का वर्गीकरण किया गया है। वर्जित गाड़ियों मे निरीक्षण यान लगाना वर्जित है। प्रतिबन्धित गाड़ियों मे केवल कुछ निर्धारित अधिकारी वर्ग के ही निरीक्षण यान लगाए जा सकते हैं। ऐसे निरीक्षण यान की अनुमति से ही किसी गाड़ी मे लगाए जा सकते हैं। जिस गाड़ी मे निरीक्षण यान लगाने की जगह हो वहाँ इन्हें आवश्यकतानुसार गाड़ी मे इंजन के साथ या पीछे एस.एल.आर./एल.आर. के अन्दर लगाया जा सकता है। आपातकालीन परिस्थितियों मे परिचालनिक आवश्यकतानुसार इसे पीछे वाले एस.एल.आर./एल.आर. के पीछे भी लगाया जा सकता है। ऐसी परिस्थिति मे कोचों व निरीक्षण यानों को निम्न प्रकार लगाया जाएगा -
स्लिप व थ्रू सेक्शनल कोच - जब किसी कोच को किसी सवारी गाड़ी मे लगाकर उसके गन्तव्य स्टेशन की ओर भेजा जाता है परन्तु उस गाड़ी की यात्रा रास्ते मे ही पूर्ण हो जाती है और कोच को गाड़ी से काटकर किसी अन्य गाड़ी द्वारा आगे उसके गन्तव्य स्टेशन की ओर भेजा जाता है तो ऐसे कोच को थ्रू कोच कहते हैं। इसी प्रकार जब किसी गाड़ी मे ऐसा कोच लगाया जाये जो कि गाड़ी की यात्रा पूर्ण होने से पहले रास्ते के स्टेशन तक ही जाने वाला हो और उसे रास्ते के स्टेशन पर काट लिया जाए तो ऐसे कोच को स्लिप कोच कहते हैं।
मिश्रित गाड़ी का मार्शलिंग
इस गाड़ी मे सभी यात्री डिब्बे एक साथ व माल डिब्बे एक साथ अलग-अलग लगाए जाने चाहिए। सामान्यतः गुड्स स्टाॅक इंजन के साथ लगाया जाता है एव कोचिंग स्टाॅक ब्रेकवान के अन्दर लगाया जाता है, लेकिन मीटरगेज में 1 इन 100 का ग्रेडियेन्ट होने या लाइव स्टाॅक, विस्फोटक एवं खतरनाक माल आदि मे आग लगने का खतरा हो तो गुड्स स्टाॅक पीछे की ओर एव कोचिंग स्टाॅक आगे की ओर लगाया जाता है। इसके अतिरिक्त एन्टीटेलीस्कोपिक या स्टील बाॅडी वाहन उपरोक्त बताए गए यात्री गाड़ी के मार्शलिंग नियमों के अनुसार लगाए जाने अनिवार्य है। ऐसी गाड़ियों की गति सेक्शन मे अनुमत अधिकतम गति होगी।
मालगाड़ी की मार्शलिंग के नियम
- अधिकतम दूरी के यातायात को प्राथमिकता देकर अधिक दूरी की गाड़ी बनाई जानी चाहिए।
- जहाँ तक संभव हो एक ही गन्तव्य का ब्लाॅक रैक बनाया जाना चाहिए। यदि ऐसा संभव न हो तो उसी मार्ग के दो या अधिक स्टेशनों के डिब्बों को इंजन से रास्ते मे आने वाले उनके स्टेशनो के क्रमानुसार लगाया जाना चाहिए जिससे शंटिंग मे विलम्ब न हो।
- खाली तथा भरे हुए डिब्बों को जहाँ तक संभव हो अलग-अलग गाड़ियों में भेजा जाना चाहिए। यदि एक ही गाड़ी में भेजा जाए तो खाली डिब्बे एक हुक में व भरे हुए डिब्बे एक हुक में होने चाहिए।
- खुले तथा बन्द डिब्बो को जहाँ तक संभव हो अलग-अलग गाड़ियों में भेजा जाना चाहिए। यदि एक ही गाड़ी मे भेजा जाए तो खुले डिब्बे एक हुक मे व बन्द डिब्बे एक हुक में होने चाहिए।
- दो आठ पहिए वाले डिब्बे या इंजन व आठ पहिए वाले डिब्बे के बीच (सीबीसी कपलिंग वाले ब्रेकवान को छोड़कर) एक चार पहिए वाला डिब्बा नहीं लगाया जाना चाहिए। इसी प्रकार दो भरे हुए डिब्बों के बीच एक खाली चार पहिए वाला डिब्बा नहीं लगाया जाना चाहिए।
- जिन स्टेशनों पर शंटिग इंजन उपलब्ध हो और शंटिग पीछे से की जा सकती है, उस स्टेशन के डिब्बे गार्ड के ब्रेकवान के पास लगाए जाने चाहिए।
- इंजन की वहन क्षमता का पूर्ण उपयोग करते हुए गाड़ी मे पूरा लोड दिया जाना चाहिए।
- वर्किंग टाइम टेबल में बताए अनुसार सेक्शन के लिए निर्धारित लोड से अधिक लोड गाड़ी में नहीं लगाया जाना चाहिए।
- रेलवे बोर्ड के निर्दे शानुसार पश्चिम रेलवे पर कुछ सेक्शनों में लाँग हाॅल गाड़ियाँ चलाई जाती हैं। उसके अतिरिक्त सामान्यतया गाड़ी की निर्धारित लम्बाई से अधिक वैगन गाड़ी मे नहीं लगाए जाने चाहिए अन्यथा फाउलिंग मार्क अवरुद्ध हो सकता है।
- वैक्यूम ब्रेक की मालगाड़ियों में कम से कम 85 प्रतिशत एव एयर ब्रेक की मालगाड़ियों में प्रारम्भिक स्टेशन पर कम से कम 90 प्रतिशत कार्यशील ब्रेक सिलेन्डर होने चाहिए। गार्ड का डिब्बा व उसके अन्दर के दो डिब्बे (कम से कम अन्तिम चार ब्रेक सिलेन्डर) कार्यशील ब्रेक सिलेन्डर वाले होने चाहिए।
- सामान्यतया प्रत्येक मालगाड़ी मे अन्तिम वाहन गार्ड का ब्रेकवान ही होना चाहिए। परन्तु आपातकालीन परिस्थितियों मे ब्रेकवान के पीछे अधिकतम चार प्रभावी (कार्यशील ब्रेक सिलेन्डर) यूनिट लगाई जा सकती है। यदि मालगाड़ी मे ब्रेकवान के पीछे अधिकारी निरीक्षण यान लगाना हो तो ब्रेकवान के पीछे लगी चार यूनिटो में से दो यूनिट कम करके एक सैलून व चारों यूनिट कम करके दो सैलून लगाए जा सकते हैं।
उपरोक्त के अतिरिक्त समय समय पर मुख्यालय द्वारा जारी विशेष अनुदेशो का भी मार्शलिंग के दौरान पालन किया जाना चाहिए।
लाइट इंजन के साथ निरीक्षण यान लगाना
- लाइट इंजन के साथ अधिकतम तीन निरीक्षण यान अनुमति से लगाए जा सकते हैं।
- प्रत्येक निरीक्षण यान अधिकारी से आॅक्यूपाइड होना चाहिए।
- ऐसी गाड़ी को रास्ते में निरीक्षण की अनुमति नहीं है।
- आखिरी निरीक्षण यान के पीछे टेल लैम्प या टेल बोर्ड होना चाहिए या दिन में लाल झंडी बंधी हुई होनी चाहिए और रात में आखिरी निरीक्षण यान में यात्रा कर रहे अधिकारी द्वारा उसका टेल लैम्प चालू किया जाना चाहिए।
- ऐसी गाड़ी बिना ब्रेकवान या गार्ड के जाए तो ट्रेन इन्टेक्ट रजिस्टर मे हस्ताक्षर लेना आवश्यक नहीं है। केवल स्टेशन मास्टर टेल लैम्प या टेल बोर्ड /लाल झंडी देखकर गाड़ी का पूर्ण आगमन सुनिश्चित कर लेगा। किसी प्रकार की शंका होने पर यदि इंजन मे गार्ड हो तो उससे ट्रेन इन्टेक्ट रजिस्टर में हस्ताक्षर लिए जाएंगे या आखिरी निरीक्षण यान में यात्रा कर रहे अधिकारी से प्रमाण पत्र प्राप्त किया जाएगा।
विशेष स्टाॅक के मार्शलिंग के नियम
परिचालन की दृष्टि से कुछ रोलिंग स्टाॅक को विशेष माना गया है व उनकी मार्शलिंग करते समय विशेष सावधानी रखी जाती है। जैसे उनमें गार्ड वैगन (सुरक्षा की दृष्टि से लगाए गए डिब्बे) लगाना।
गार्ड वैगन गेज, रोलिंग स्टाॅक व उसमें लदे माल के अनुसार निम्न प्रकार लगाए जाने चाहिए -
- पेट्रोल टेंक व इसी प्रकार के अत्यन्त ज्वलनशील पदार्थ से लदे डिब्बे - डीजल/इलेक्ट्रिक वाली मालगाड़ी में आगे व पीछे कम से कम एक-एक गार्ड वैगन व मिश्रित गाड़ी में मालगाड़ी के नियम के अनुसार ही गार्ड वैगन लगाए जाएंगे। ऐसे डिब्बों को सवारी गाड़ी में नहीं लगाया जा सकता।
- विस्फोटक माल से लदे हुए डिब्बे - गार्ड वैगन उपरोक्त पेट्रोल टेक के अनुसार ही लगाए जाएंगे। मालगाड़ी मे अधिकतम 10 डिब्बे व मिश्रित गाड़ी में अधिकतम 3 डिब्बे एक हुक मे लगे होने चाहिए।
- जानवरों से लदे हुए डिब्बे - डीजल/इलेक्ट्रिक से चलने वाली किसी भी गाड़ी मे कोई गार्ड वैगन की आवश्यकता नहीं है। केवल सवारी गाड़ी में विशेष प्रकार के कोचिंग स्टाॅक में जानवर बुक किए गए हो तो उस डिब्बे को गाड़ी मे सबसे पीछे लगाया जाना चाहिए।
- ज्वलनशील माल से लदे हुए डिब्बे - डीजल/इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली मालगाड़ी व मिश्रित गाड़ी मे कोई गार्ड वैगन की आवश्यकता नहीं है। सवारी गाड़ी में ऐसे डिब्बे नहीं लगाए जा सकते।
- मोटरयान से लदे हुए खुले डिब्बे - डीजल/इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली मालगाड़ी व मिश्रित गाड़ी में कोई गार्ड वैगन की आवश्यकता नहीं है। सवारी गाड़ी में ऐसे डिब्बे नहीं लगाए जा सकते।
- लकड़ी की पेटियो में मशीनरी से लदे हुए डिब्बे - डीजल/इलेक्ट्रिक इंजन से चलने वाली मालगाड़ी व मिश्रित गाड़ी मे कोई गार्ड वैगन की आवश्यकता नहीं है। सवारी गाड़ी मे ऐसे डिब्बे नहीं लगाए जा सकते।
- क्रेन - सामान्यतया ट्रेवलिंग क्रेन को मालगाड़ी से ले जाया जाना चाहिए व जहाँ मालगाड़ी न चलती हो वहाँ मिश्रित गाड़ी से ले जाया जा सकता है। ऐसे में Dr. DOM/Dr SDM की अनुमति से गाड़ी में आवश्यकतानुसार आगे या पीछे कहीं भी लगाया जा सकता है। अत्यधिक आवश्यकता के समय सवारी गाड़ी में ले जाना हो तो धीमी गति की सवारी गाड़ी में Dr. DOM/Dr SDM की अनुमति से इंजन के साथ लगाकर ले जाई जा सकती है। ऐसी क्रेन को गाड़ी में लगाकर ले जाते समय उसकी जिब पीछे की ओर व डमी ट्रक पर टिकी हुई होनी चाहिए।
- खाली यात्री कोच - प्रशासन की आवश्यकतानुसार खाली कोच को गाड़ी मे लगाकर ले जाना हो तो मालगाड़ी मे ब्रेकवान के अन्दर लगाया जाना चाहिए। जहाँ मालगाड़ी नहीं चलती हो वहा मिश्रित गाड़ी मे या सवारी गाड़ी मे आवश्यकतानुसार आगे या पीछे कहीं भी लगाया जा सकता है परन्तु उस कोच के खिड़की व दरवाजे बन्द करने के बाद ताला लगा दिया जाना चाहिए ताकि कोई भी उसमे बैठ न सके।
- जोड़े से लदे हुए डिब्बे - ऐसे डिब्बे को मालगाड़ी में गार्ड के ब्रेकवान के अन्दर गार्ड की निगरानी में लगाया जा सकता है। जहाँ मालगाड़ी नहीं चलती हो वहाँ मालगाड़ी के नियम के अनुसार मिश्रित गाड़ी में लगाया जा सकता है। परन्तु सवारी गाड़ी में ऐसा डिब्बा नहीं लगाया जा सकता।
- डैमेज वेहीकल - सेक्शन की सबसे धीमी मालगाड़ी में दिन के समय जब दृश्यता साफ हो तब केवल एक वाहन सबसे पीछे लगाया जा सकता है। इसके साथ आवश्यकतानुसार गाड़ी परीक्षक कर्मचारी साथ होने चाहिए। ऐसा डिब्बा सवारी गाड़ी व मिश्रित गाड़ी में नहीं लगाया जा सकता।
- ओ.डी.सी. वैगन - मालगाड़ी मे ओ.डी.सी. वैगन मुख्यालय/मं डल से मूवमेट आॅर्डर प्राप्त होने के बाद गार्ड के ब्रेकवान के अन्दर लगाया जा सकता है। जहाँ मालगाड़ी नहीं चलती हो वहाँ मिश्रित गाड़ी में मालगाड़ी के नियम के अनुसार ही लगाया जा सकता है। सवारी गाड़ी मे ऐसा डिब्बा नहीं लगाया जा सकता।
मूलभूत आवश्यकताये
- डेड इंजन जोडे जाने पर गाड़ी की अधिकतम अनुमत लम्बाई व भार का उल्लंघन न हो ।
- यदि डेड इंजन की अधिकतम अनुमत गति ट्रेन की अधिकतम अनुमत गति से कम हो तो निर्धारित गति प्रतिबंध लगाया जा सकता है ।
- जहाँं तक संभव हो ब्रेक कार्यशील रहें, कार्यशील न रहने पर उसे पाइप्ड व्हीकल माना जायेगा।
डेड इंजन गाड़ी मे चार प्रकार से लगाये जा सकते हैं:
- ब्रेक कार्यशील हो व वर्किंग इंजन के साथ लगाना हो ।
- ब्रेक कार्यशील हो परंतु वर्किंग इंजन के साथ लगाना संभव न हो या डेड इंजन के ब्रेक कार्यशील न हो ।
- डेड इंजन को ब्रेकवान के पीछे जोड़ना हो ।
- डेड इंजन मेल/एक्सप्रेस/सवारी/मिक्स गाड़ी मे लगाना हो ।
डेड इंजनो का संचालन:
ब्रेक कार्यशील हों व वर्किंग लोको के साथ लगाना हो -
(अ) यदि डेड लोको के ब्रेक कार्यशील हो एव डबल/ट्रिपल हेडेड लोको वर्किग की अनुमति हो तो डेड लोको वर्किंग लोको के साथ लगाया जा सकता है। उपरोक्त सभी प्रकरणो मे नाॅन स्टेण्डर्ड व गोलाई वाले पुलो पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है।
(ब) अधिकतम चार लोको लगाये जा सकते हैं यदि पूरी गाड़ी की लम्बाई, लूप की लम्बाई (स्टार्टर से फाउलिंग मार्क तक) से अधिक न हो।
ब्रेक कार्यशील हो परंतु वर्किंग लोको के साथ लगाना संभव न हो या डेड लोको के ब्रेक कार्यशील न हों -
- डेड इंजन को पाइप्ड व्हीकल माना जायेगा ।
- केवल एक ही डेड इंजन को लगाया जा सकता है ।
जहाॅं तक संभव हो डेड इंजन को वर्किग लोको के साथ लगाया जायेगा। यदि संभव न हो तो डेड लोको की मार्शलिंग निम्नानुसार होगी:
यदि डेड लोको को मालगाड़ी में बीच में लगाना हो तो, डेड लोको व वर्किंग लोको के बीच की दूरी, उस सेक्शन के पुल की अधिकतम लम्बाई वाले स्पान के बराबर होनी चाहिये।
ब्रेकिंग के महत्व को ध्यान में रखते हुए:
- वैक्यूम हाॅज पाइप जुडे होने चाहिये ।
- वैक्यूम ब्रेक सिस्टम में डेड लोको के पीछे कम से कम 10 यूनिट जुड़े होने चाहिये।
- एयर ब्रेक सिस्टम मे एयर होज कपलिंग जुड़े होने चाहिये एव डेड लोको के पीछे कम से कम 10 वेगन जुड़े होने चाहिये ।
यदि डेड लोको को ब्रेकवान के पीछे जोड़ना हो -
- केवल एक ही डेड लोको लगाया जा सकता है ।
- 1 इन 100 से अधिक के ढलान वाले सेक्शन मे नहीं लगाया जाये ।
- डेड लोको में सक्षम रेल कर्मी को लगाया जायेगा जो कि सहायक लोको पायलट के पद से कम न हो। उसके साथ वाॅकी टाॅकी, झंडियाॅँ, डेटोनेटर व अन्य आवश्यक उपकरण हों ।
- गार्ड यह सुनिश्चित करे कि सक्षम रेल कर्मचारी बुक किया गया है ।
- यदि किसी कारण से डेड लोको रन अवे हो जाये तो सहायक लोको पायलट को फ्लेशर लाइट जला देनी चाहिये एवं डेड लोको के हैंड ब्रेक लगा देने चाहिये ।
डेड लोको मेल/एक्सप्रेस/सवारी/मिक्स गाड़ी मे लगाना हो -
- राजधानी, शताब्दी, दुरन्तो, गरीबरथ एवं इसी प्रकार की अन्य गाड़ियों में नहीं लगाया जायेगा।
- वर्किंग इंजन के साथ लगाया जायेगा, जिसमें डेड इंजन के ब्रेक कार्यशील हो एवं एमआर व बीसीई पाइप जुडे होने चाहिये ।केवल एक ही डेड लोको लगाया जा सकता है ।
- डेड इंजन को प्रारम्भिक या रास्ते में कहीं भी लगाया जा सकता है बशर्ते उस गाड़ी का ब्रेक पावर कम से कम 100 प्रतिशत हो (डेड इंजन के अतिरिक्त)
- डेड इंजन के ब्रेक कार्यशील न हो तो भी उसे वर्किंग इंजन के साथ लगाया जा सकता है।
यदि डेड लोको को ब्रेकवान/एस एल आर के पीछे लगाना हो -
- केवल एक ही डेड इंजन लगाया जा सकता है।
- 1 इन 100 से अधिक के ढलान वाले सेक्शन मे नहीं लगाया जाएगा।
- डेड इंजन मे सक्षम रेल कर्मचारी को लगाया जायेगा जो कि सहायक लोको पायलट के पद से कम न हो। उसके साथ वाॅकी टाॅकी, झंडियाॅं, डेटोनेटर व अन्य आवश्यक उपकरण हों।
- यदि किसी कारण से डेड इंजन रन अवे हो जाये तो सहायक लोको पायलट को फ्लेशर लाइट जला देनी चाहिये एवं डेड इंजन के हैंड बे्रक लगा देने चाहिये।
- पी.सी.आर./टी.पी.सी. इस बात को सुनिश्चित करेगे कि डेड इंजन को उस गाड़ी मे लगाने के लिये फिट है।
- गार्ड की यह जिम्मेदारी है कि यह सुनिश्चित करे कि पीछे डेड इंजन में सहायक लोको पायलट को बुक किया गया है।
गाड़ी मे डेड इंजन लगाने से पूर्व रखी जाने वाली सावधानियाँ -
यह प्रयत्न किया जाना चाहिए कि उसके ब्रेक वर्किग इंजन के ब्रेक के साथ कार्य कर सके।
जिस गाड़ी मे डेड इंजन केा लगाया जाए उस सेक्शन में डबल/ट्रिपल हेडेड इंजन चलाने की अनुमति होनी चाहिए। नाॅन इलेक्ट्रिफाइड सेक्शन मे डेड इलेक्ट्रिक इंजन को किसी गाड़ी मे लगाया जाए तो उसके मेक्सीमम मूविंग डायमेशन को देख लेना चाहिए यदि वह अधिक हो तो उसे ओ.डी.सी. मानते हुए कार्यवाही की जानी चाहिए। अन्तिम जाँच के रूप में दोनो रेल इंजनों को लगभग 500 मीटर तक चलाया जाए और लोको पायलट यह जाँच करे कि डेड इंजन के तापमान में केाई असामान्य बढ़ोतरी तो नहीं हुई है।
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