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विभिन्न प्रकार की लाइटें

विभिन्न प्रकार की लाइटें

बैक लाइट

भुजावाले सिगनलों मे  रात के समय सिगनल की स्थिति को जानने के लिए उसमें बैक लाइट का प्रावधान रखा गया है जो कि केवल सिगनल के आॅन स्थिति मे  होने पर ही दिखाई देती है। सिगनल मे  रात के समय जो बत्ती जलाई जाती है वह आगे की ओर लोको पायलट को संकेत देती है जबकि पीछे की ओर वह सफेद रोशनी प्रदर्शित करती है जो स्टेशन कर्मचारियों को संकेत देती है कि सिगनल की स्थिति क्या है। इसे बैक लाइट कहते हैं जो कि सिगनल संचालन के स्थान से दिखाई देनी चाहिए। इसी के द्वारा यह ज्ञात होता है कि सिगनल आॅन है या आॅफ या बुझ गया है।

हेड लाइट एवं मार्कर लाइट

धुन्ध/कोहरे या धुम्मस या रात के समय कोई भी गाड़ी का संचालन नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके इंजन पर विशेष अनुमोदित प्रकार की इलेक्ट्रिक हेड लाइट और बफर पर दो इलेक्ट्रिकमार्कर लाइट लगी हुई न हो। मार्कर लाइट मे  ऐसी व्यवस्था है कि उसे आवश्यकतानुसार सफेद या लाल किया जा सकता है। जब अकेले इंजन का संचालन हो रहा हो तो उसके पीछे की मार्कर लाइट पीछे की ओर लाल व आगे की ओर सफेद जलनी चाहिए। इसी प्रकार जब दो इंजनों को जोड़ दिया जाता है अर्थात कपल किया जाता है तो रात के समय पीछे वाले इंजन के पीछे लाल मार्कर लाइट जलती हुई होनी चाहिए। यार्ड मे  कोई शन्टिंग इंजन कार्य कर रहा हो तो उसके दोनों ओर दो लाल मार्कर लाइट जलती हुई होनी चाहिए। जब डबल लाइन सेक्शन मे  किसी गाड़ी को मेन लाइन से दूसरी लाइन पर किसी गाड़ी को प्राथमिकता देने के लिए शंट आॅफ किया जाए तब हेड लाइट को बुझा कर मार्कर लाइट को लाल कर दिया जाएगा।

हेड लाइट को डिम किया जाना - हेड लाइट मे  उसे डिम करने की व्यवस्था की गई है जिसे किनिम्नलिखित परिस्थितियों में डिम किया जाना चाहिए -
  • जब गाड़ी स्टेशन पर खड़ी हो
  • जब डबल लाइन या मल्टीपल लाइन (किसी भी गेज मे ) सेक्शन में सामने से कोई गाड़ी आ रही हो
  • डबल लाइन पर स्टेशन आने से 1200 मीटर पहले से लेकर स्टेशन गुजर जाने के 1200 मीटर बाद तक
  • सिंगल लाइन पर स्टेशन आने के 1200 मीटर पहले से लेकर स्टेशन का आखरी पाॅइन्ट गुजर जाने तक
  • सभी बडे  मार्शलिंग यार्डो  से गुजरते समय
हेड लाइट खराब हो जाने पर लोको पायलट द्वारा की जाने वाली कार्यवाही - जब किसी गाड़ी के इंजन की ब्लाॅक सेक्शन मे  किसी भी कारण से हेड लाइट खराब हो जाती है तो लोको पायलट यह सुनिश्चित करने के बाद कि दोनो  मार्कर लाइट बराबर जल रही है, अपनी गाड़ी को ब्राॅडगेज एवं मीटरगेज मे  40 कि.मी.प्र.घ. तथा नेरोगेज मे  15 कि.मी.प्र.घ. की अधिकतम गति से या उस सेक्शन मे  लागू सबसे कम गति प्रतिबन्ध की गति से (जो भी कम हो) गाड़ी का संचालन करेगा और सीटी का स्वतंत्रता से उपयोग करते हुए पूर्ण रूप से सतर्क रहेगा। अगले स्टेशन पर पहुचकर वह स्टेशन मास्टर के माध्यम से वहां संदेश भिजवाएगा जहाँ इसे ठीक करने के लिए कर्मचारी उपलब्ध हो सके।

साइड लाइट

इस लाइट को गार्ड के डिब्बे(ब्रेकवान/एस.एल.आर./एल.आर) के बाहर की ओर लगाया जाता है व रात या धुन्ध/कोहरे/धुम्मस के मौसम में किसी भी गाड़ी को स्टेशन सीमा से बाहर तब तक नहीं भेजा जाना चाहिए जब तक कि उसमे  दोनो  साइड मे  साइड लाइटें चालू हालत मे  न हो। यह इंजन की ओर सफेद व पीछे की ओर लाल रोशनी प्रदर्शित करती है। मालगाड़ी मे  अनुमोदित विशेष अनुदेशों के अन्तर्गत इसे जलाने का प्रावधान हटा दिया गया है। जब गाड़ियां पेरेलल (समानान्तर) लाइनो  पर चलती हैं तो साइड लाइट को उनके अनुसार व्यवस्थित किया जाएगा अर्थात जिस तरफ दूसरी गाड़ी हो उस तरफ की साइड लाइट को आवश्यकतानुसार पीछे की ओर सफेद भी किया जा सकता है। जब किसी स्टेशन पर एक गाड़ी को खड़ा करके उसी दिशा की किसी अन्य गाड़ी को प्राथमिकता दी जाती है तो गार्ड की ड्यूटी है कि वह जिस लाइन से गाड़ी गुजरेगी उस तरफ की अपनी गाड़ी की साइड लाइट को पीछे की ओर लाल से घुमाकर सफेद कर देगा एवं गाड़ी गुजर जाने के बाद वापस उसे पीछे की ओर लाल कर देगा। यदि प्राथमिकता दी जाने वाली गाड़ी के लोको पायलट को अपनी ओर की साइड लाइट पीछे की ओर लाल दिखाई देती है तो उसे अपनी गाड़ी उस साइड लाइट के पास आकर खड़ी कर देनी चाहिए और सफेद होने के बाद ही गाड़ी आगे बढ़ानी चाहिए।

टेल लाइट(लैम्प)

यह एक लाल रंग का अनुमोदित डिजाइन का लैम्प होता है जो गाड़ियों के अंतिम वाहन के पीछे  लगाया जाता है। इसका प्रयोग रात के समय गाड़ी के अन्तिम वाहन को प्रदर्शित करने के लिए किया जाता है। वर्तमान मे गार्डो  को लाल रंग के फ्लेशिंग टाइप टेल लैम्प दिए गए हैं। जो गाड़ी के पूर्ण होने का संकेत देता है। जब स्त्ध्ैस्त् के पीछे कोई निरीक्षण यान या अन्य डिब्बे लगाए गए हो ं तो गार्ड को सुनिश्चित करना चाहिए कि टेल लैम्प केवल अन्तिम वाहन पर ही जल रहा हो व उसके बीच वाले सभी टेल लैम्प बुझे हुए होने चाहिए। स्टेशन मास्टर द्वारा रात के समय उसके स्टेशन से रनिंग थ्रू गुजरने वाली प्रत्येक गाड़ी के पीछे टेल लैम्प देखकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गाड़ी पूर्ण है। बिना टेल लैम्प/बोर्ड गाड़ी का रनिंग थ्रू  गुजरना - जब किसी रनिंग थ्रू  गाड़ी को स्टेशन मास्टर बिना ल लैम्प/बोर्ड देखता है या टेल लैम्प को बुझा हुआ देखता है, तो वह उसे अधूरी मानते हुए पिछले ब्लाॅक सेक्शन को बन्द नहीं करेगा व अगले स्टेशन को ब्लाॅक उपरकण पर 000000 00 (छः पाॅस दो) घन्टी द्वारा संकेत देगा। अगला स्टेशन इस सूचना के आधार पर गाड़ी को अपने स्टेशन पर रोककर ट्रेन इन्टेक्ट रजिस्टर मे  गार्ड के हस्ताक्षर लेगा व उससे टेल लैम्प/बोर्ड को जलाने/लगाने को कहेगा। इसके पश्चात् पिछले स्टेशन को गाड़ी ‘गाड़ी सेक्शन से बाहर’ संकेत देगा जिसके मिलने पर ही स्टेशन मास्टर अपने पिछले स्टेशन को ‘गाड़ी सेक्शन से बाहर’ संकेत देकर ब्लाॅक उपकरण को सामान्य स्थिति मे  करेगा। यदि ब्लाॅक स्टेशनों के बीच ब्लाॅक प्रूविंग बाय एक्सल काउंटर (ठच्।ब्) या लगातार टेªक सर्किट की व्यवस्था हो जिससे ब्लाॅक सेक्शन के साफ होने एवं गाड़ी के पूर्ण आगमन का साफ संकेत मिल रहा हो एव  गाड़ी उस स्टेशन से बिना टेल लैम्प/बोर्ड गुजरे तो स्टेशन मास्टर पिछले स्टेशन को गाड़ी ‘गाड़ी सेक्शन से बाहर’ संकेत तो दे देगा लेकिन अगले स्टेशन को गाड़ी वहाँ रोककर उस कमी को पूरा करने हेतु कहेगा।

फ्लेशर लाइट

प्रत्येक डीजल व इलेक्ट्रिक इंजन एवं म्डन्ए डम्डन्ए क्डन् के ड्राइविंग केब पर अम्बर कलर की फ्लेशर लाइट लगाई जाती है। इसका उपयोग लोको पायलट द्वारा सामने से आने वाली गाड़ी को रोकने के लिए किया जाता है। जब इसे जलाया जाए तो हेड लाइट को बुझा देना चाहिए। जब लोको पायलट द्वारा इसे चालू किया जाता है तो यह लगातार फ्लेशिंग करती है व सामने से आने वाली गाड़ी के लोको पायलट का ध्यान आकर्षित करती है। जिसे देखकर सामने वाली गाड़ी का लोको पायलट समझ जाता है कि आगे कोई खतरा या रुकावट है जिससे पहले उसे रुकना है। जब भी डबल लाइन, मल्टीपल लाइन, ट्विन सिंगल लाइन सेक्शनों पर कोई गाड़ी दुर्घटना या किसी अप्रत्याशित कारण से खड़ी हो जाए तो लोको पायलट को तुरन्त सबसे पहले यह फ्लेशर लाइट चालू कर देनी चाहिए व उसके पश्चात् कारण पता करवाना चाहिए।

ब्लिंकर लाइट

यह लाइट राजधानी एक्सप्रेस, शताब्दी एक्स्प्रेस व म्डन् गाड़ी में गार्ड के ैस्त्ध्स्त् के पीछे लगाई जाती है। यह राजधानी एक्सप्रेस व शताब्दी एक्स्प्रेस गाड़ी में लाल रंग की व म्डन् गाड़ी में अम्बर कलर की होती है। इसे गार्ड द्वारा अपने डिब्बे में से चालू किया जाता है तो यह फ्लेशिंग करती है। राजधानी एक्सप्रेस व शताब्दी एक्सप्रेस मे  इसका उपयोग स्टेशन से रनिंग  थ्रू जाते समय गार्ड व स्टेशन कर्मचारियों के बीच आॅल राइट सिगनलों के रूप में व स्टेशनो  के मध्य खड़ी जो जाने पर किया जाता है। स्टेशन आने से पूर्व गार्ड इसे चालू कर देता है और अपने डिब्बे की पिछली खिड़की से स्टेशन कर्मचारियों की ओर देखता रहता है कि वे किसी प्रकार का खतरे का संकेत तो नहीं दे रहे। अन्तिम पाॅइन्ट गुजरने के बाद गार्ड द्वारा इसे बन्द कर दिया जाता है। म्डन् गाड़ी में इसका उपयोग गार्ड द्वारा तब किया जाता है जब गाड़ी किसी स्टेशन पर 2 मिनट से अधिक समय तक खड़ी हो जाती है। इसे चालू करने पर यह पीछे से आने वाली गाड़ी के लोको पायलट/मोटरमेन को संकेत देती है कि आगे गाड़ी है।

इलेक्ट्रिक रिपीटर

यह एक उपकरण है जो स्टेशन मास्टर कार्यालय या केबिन पर तब लगाया जाता है जबकि कोई सिगनल उसके संचालन के स्थान से दिखाई नहीं देता है। भुजावाले सिगनलो  में जब कोई सिगनल गोलाई के कारण दिखाई नहीं देता है तो इसे लगाया जाता है व इसमे  भी उसी प्रकार की एकछोटी भुजा होती है जैसी कि मुख्य सिगनल की होती है। यह छोटी भुजा मुख्य सिगनल की भुजा के संकेत को दोहराती है। इसमे  तीन स्थितियां होती है - आॅन, रोंग व आॅफ। जब सिगनल सही तरह से आॅफ न हुआ हो तो यह रिपीटर रोंग स्थिति दर्शाता है। रात के समय सिगनल जल रहा है, यह बताने के लिए इसमें एक घन्टी या बजर का प्रावधान रखा गया है जो कि केवल सिगनल की बत्ती बुझ जाने पर बजती/बजता है। रिपीटर मे  नीचे की ओर एक स्विच होता है जिसकी दो स्थितियां होती है - दिन व रात। इसे दिन के समय दिन पर व रात के समय रात की अवस्था पर रखना होता है। कलर लाइट सिगनलों में बत्ती वाले रिपीटर लगाए जाते हैं जिनमे  वे ही बत्तियां होती है जो कि मुख्य सिगनल दर्शाता है।

इलेक्ट्रिक रिपीटर खराब हो जाना - जब कभी इलेक्ट्रिक रिपीटर खराब हो जाए तो उस सिगनल का संचालन करके स्टेशन मास्टर को स्वयं किसी उपयुक्त स्थान पर जाकर देखना चाहिए कि सिगनल का सही संचालन हो गया है। यदि सिगनल उपयुक्त स्थान से भी दिखाई नहीं देता है तो उसे खराब मानते हुए कार्यवाही की जानी चाहिए।
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