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रेल परिसर के अन्दर व्यक्तियों को चिकित्सा सेवा प्रदान करने के सामान्य नियम




रेल परिसर के अन्दर व्यक्तियों को चिकित्सा सेवा प्रदान करना:-

 रेल परिसर मे व्यक्तियों को त्वरित चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित दिशा निर्देशों का पालन किया जाना चाहिये-

1. निम्नलिखित परिस्थितियों में रेल परिसर के अन्दर व्यक्तियों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जा सकती है-

a. जब संबंधित व्यक्ति अधिकृत रेल यात्री हो और वह अचानक बीमार हो जाए।

इस संदर्भ में रेल विधिक रूप से उत्तरदायी नहीं है क्योंकि टिकट क्रय करने से रेल यात्री को मार्ग में रेल से निःशुल्क चिकित्सा सहायता प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त नहीं हो जाता है। रेल कर्मचारियों को, फिर भी, मानवीय आधार पर ऐसे रेल यात्री को चिकित्सा सहायता प्रदान करने मे सहायता प्रदान करना चाहिये। इस प्रकार के मामले में रेल यात्री और चिकित्सक के बीच का संबंध रोगी और चिकित्सकीय परिचारक का संबंध माना जाए चाहे वह रेल से संबंधित हो अथवा नहीं। रेल चिकित्सक इस प्रकार के यात्रियों को चिकित्सा सहायता प्रदान करने के लिए उनसे नियमानुसार अनुमत शुल्क प्राप्त कर सकते है।
b. जब संबंधित व्यक्ति अध्विकृत रेल यात्री हो और वह ऐसी दुर्घटना में घायल हो जाए जिसके लिए रेल उत्तरदायी न हो।

इस संदर्भ में दुर्घटना के समय किसी यात्री द्वारा यह ठीक-ठीक मूल्यांकन करना संभव नहीं हो सकता है कि एक दुर्घटना विशेष के लिए रेल उत्तरदायी है अथवा नहीं। इसके अतिरिक्त, यह निर्धारित करना संभव नहीं हो सकता हैं कि घायल व्यक्ति वास्तव में एक अधिकृत यात्री है अथवा अनाधिकार प्रवेशक(ट्रेसपासर)। फिर भी, यह स्पष्ट है कि मानवीय आधार पर उसे बिना चिकित्सकीय सहायता प्रदान किये छोड़ा नहीं जा सकता है। इस प्रकार के मामलों मे भी ,किसी प्रकार के भ्रम अथवा जटिलता से बचने दृष्टि से चिकित्सकीय सहायता का वहन रेल द्वारा किया जाना चाहिये। प्रथम दृष्ट्या, इसका लागत रेल द्वारा वहन किया जाना चाहिये और जब स्थितियाँ अनुकूल हों तो रेल संबंधित पक्षकार से व्यय की गई राशि को वसूल सकती है।

c. जब संबंधित व्यक्ति अध्विकृत रेल यात्री हो और वह ऐसी दुर्घटना में घायल हो जाए जिसके लिए रेल उत्तरदायी हो।

इसके संदर्भ में व्यक्तियों को चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लागत का वहन रेल द्वारा किया जाएगा।

d. जहाँ संबंधित व्यक्ति उचित रेल टिकट न होने के कारण अथवा समुचित रेल टिकट रखते हुए सार्वजनिक प्रवेश के लिए प्रतिबंधित रेल परिसर में प्रवेश करने के कारण अनाधिकार प्रवेशक(ट्रेसपासर) हो)

इसके संदर्भ में मूल प्रक्रिया वही है जैसा कि उपर्युक्त (b) एवं (c) में निरूपित है क्योंकि व्यक्ति का अनाधिकार प्रवेशक(ट्रेसपासर) होना विवाद से परे नहीं हो सकता है। मानवीय आधार पर चिकित्सा सहायता उपलब्ध कराना स्टेशन मास्टर का उत्तरदायित्व है, किन्तु जब रेलवे पुलिस उपलब्ध हो तो वह निकटस्थ रेल पुलिस पदाधिकारी से आवश्यकतानुसार चिकित्सालय भिजवाने के सम्बन्ध मे मामले के निस्तारण हेतु सहायता ले सकते हैं।


2. व्यय की गई राशि की वसूली के लिए निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाए जिसमें परिवहन तथा चिकित्सा बिल दोनों शामिल हों-

a. आई.आर सी.एम 4994 संस्करण के पैरा 2425 के मद सं. 45 के अनुसार छोटे स्टेशनों पर जहां एम्बुलेन्स उपलब्ध नहीं है दुर्घटना होने पर बीमार और घायल व्यक्ति को अस्पताल ले जाने हेतु परिवहन लागत के लिये स्टेशन आय से निकासी की अनुमति दी जा सकती है।

b. घायल ब्यक्तियों को रेलवे अस्पताल से सिविल अस्पताल ले जाने की व्यवस्था चिकित्सा विभाग द्वारा की जाएगी तथा इस संबंध में देय प्रभार चिकित्सा विभाग के नामे लिखा जाएगा।

c. व्यावसायिक गैर रेलवे चिकित्कों की उपस्थिति की व्यवस्था स्टेशन मास्टर द्वारा की जानी चाहिये। चिकित्सकों को दो प्रतियों में बिल प्रस्तुत करने का परामर्श दिया जाना चाहिये जिसमे उनके द्वारा उपचार किये गये चोट का विस्तृत विवरण होना चाहिये। बिल प्राप्त करने के पश्चात स्टेशन मास्टर द्वारा इसे मं रे प्र को इस आशय के रिपोर्ट के साथ अग्रसारित किया जाना चाहिये कि मामले की परिस्थिति अनुसार रेल उस प्रभार को वाहन करे अथवा इसे संबंधित यात्री से वसूलने का प्रयास किया जाना चाहिये। यदि बिल यात्री से वसूली योग्य हो तो ऐसा करने के लिए प्रयत्न करना चाहिए। लेकिन यदि यह संभव न हो तो चिकित्सक को सीधे विसमुलेधि के माध्यम से भुगतान कराने की व्यवस्था के लिए मेरेप्र द्वारा प्रभारी चिकित्साधिकारी को अग्रसारित किया जाना चाहिये। बिल के सत्यापन में चिकित्सालय प्रभारी मंडल के स्थिति की गंभीरता, चोट के प्रकार तथा चिकित्सकों द्वारा मरीज के देख रेख में लगे समय पर विचार किया जाना चाहिये।

d. मरीज की चिकित्सा तथा परिवहन पर हुए व्यय प्रभारों की वसूली को माफ करने की शक्ति का प्रयोग मं रे प्र द्वारा किया जाएगा। संबंधित स्टेशन मास्टर द्वारा मं रे प्र को विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाना चाहिये तथा उन परिस्थितियों का कारण सहित उल्लेख किया जाना चाहिये जिसके अर्न्तगत वसूली प्रभावित नहीं की जा सकती ।

e. ऐसे मामले में जहाँ चिकित्सा सुविधा तथा परिवहन की व्यवस्था प्रथम दृष्टया पुलिस द्वारा उपलब्ध कराई गई हो तो लागत के वहन करने का उत्तरदायित्व पुलिस की होगी।


3. स्टेशन मास्टर द्वारा सभी मामलों में त्वरित प्राथमिक चिकित्सा सुविधा सुनिश्चित कराने के उद्येश्य की पूर्ति हेतु इस नियमावली के पैरा 402 के अनुसार उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं की एक अद्यतन सूची तैयार रखी जायेगी।

4. ऐसे सभी मामलों में जहाँ यात्री अथवा अनाधिकार प्रवेशक(ट्रेसपासर) रेल परिसर में घायल होता है तो स्टेशन मास्टर या उनके कर्मचारी द्वारा निम्नलिखित प्रक्रियाओं अपनाई जायेगी:-

a. जब कोई यात्री अथवा अन्य व्यक्ति रेल परिसर में घायल हो जाता है तो उसे दक्ष व्यक्ति द्वारा तत्काल प्राथमिक चिकित्सा दी जानी चाहिये तथा यथाशीघ्र उसे निकटतम अस्पताल भिजवा दिया जाना चाहिये।

b. रोगी को निकटतम अस्पताल पर भिजवाने के लिए तत्काल परिवहन व्यवस्था उपलब्ध न होने की स्थिति में प्रैक्टिस करने वाले निकटतम चिकित्सक को सूचना भेजी जानी चाहिये।

c. गंभीर स्थिति मे चिकित्सा सुविधा के लिए निकट स्थित रेलवे, सेना, सिविल अथवा निजी, किसी भी उपलब्ध स्रोत से, चिकित्सक को बुलाने की व्यवस्था की जानी चाहिये। मरीज को प्राथमिक चिकित्सा सुविधा देने के पश्चात यदि यथोचित समय मे किसी योग्य डाक्टर को बुलाना संभव न हो तो अविलम्ब स्थिति की गंभीरता का ध्यान किए बिना उसे निकटस्थ चिकित्सालय भेज दिया जाना चाहिए।

d. यदि दो स्टेशनों के बीच खण्ड में कोई यात्री अथवा अनाधिकार प्रवेशक(ट्रेसपासर)गंभीर दुर्घटनाग्रस्त हो जाता है जहाँ कोई चिकित्सालय उपलब्ध नहीं है तो उसे प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के पश्चात संबन्धित गाड़ी द्वारा ले जाना चाहिये। ऐसी स्थितियों में कंट्रोल फोन के माध्यम से डिस्पेन्सरी अथवा चिकित्सालय मे स्थानान्तरण के लिए निकटस्थ रेलवे, सिविल अथवा मिलिट्री अस्पताल के डाक्टर को स्ट्रेचर अथवा एम्बुलेंस के साथ पीड़ित को ले जाने वाली गाड़ी के पहुँचने से पूर्व उपस्थित रहने की व्यवस्था सुनिश्चित की जानी चाहिए।

e. व्यक्ति के मृत प्रतीत हाने पर भी उसकी जॉच करने तथा परामर्श देने के लिए चिकित्सक को बुलाया जाना चाहिए। यदि चिकित्सक पाता है कि जीवन समाप्त नहीं हुआ है तो उसके द्वारा फौरन चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जानी चाहिये तथा पैरा (4) के मद (c) तथा (d) के अनुसार अगली कार्रवाई की जानी चाहिए।

f. रेलवे दुर्घटना में सम्मिलित घायलों,शवों को रेलवे स्टेशन अथवा अस्पताल ले जाने के लिए उपयोग मे लाये गये लाइसेंसी कुलियों को घायलों /शवों को स्ट्रेचर पर दुर्घटना स्थल से रेलवे स्टेशन, गाड़ी अथवा अस्पताल तक ढोने के लिये दूरी को ध्यान में रखे बिना निर्धारित दर से भुगतान किया जा सकता है।

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