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इंजीनियरिंग सिगनल एवं कार्यस्थल का बचाव

इंजीनियरिंग सिगनल एवं कार्यस्थल का बचाव

इंजीनियरिंग विभाग के कर्मचारियों द्वारा उन्हें आवंटित भाग पर लाइन की मरम्मत व रखरखाव का कार्य निरन्तर कहीं न कहीं किया जाता है। इस कार्य हेतु कई बार उन्हें आवश्यकतानुसार गाड़ी संचालन के दौरान उस स्थान पर गति प्रतिबन्ध भी लागू करने होते है । कार्य, आवश्यकता के अनुसार एक दिन का या उससे अधिक अवधि का हो सकता है। जब कार्य एक दिन से अधिक की अवधि का हो तो इंजीनियरिंग कार्यस्थल पर इंजीनियरिंग सिगनलों द्वारा बचाव करना होता है। जिसके लिए निम्न प्रकार के इंजीनियरिंग सिगनलों का उपयोग किया जाता है -

काॅशन इंडीकेटर

यह सिगनल पीले रंग का होता है जिसका एक सिरा मछली की पूंछ की तरह कटा हुआ व दूसरा सिरा तीर के समान तीखा होता है। इसके बीच के भाग में काले रंग का क्राॅस बना होता है। रात के समय इसमे  लोको पायलट की ओर दिखाई देती हुई दो पीली बत्ती जमीन के समानान्तर जलाई जाती है या इस पर ऐसा रिफ्लेक्टिव टाइप रंग किया जाता है जो कि हैड लाइट की रोशनी मे  चमकता है। इस इंडीकेटर को गाड़ी रोककर भेजना हो तो आने वाली गाड़ी की दिशा मे  कार्यस्थल से ब्राॅडगेज मे  1200 मीटर एवं मीटरगेज/नेरोगेज मे  800 मीटर की दूरी पर लगाया जाएगा व जब गाड़ी कार्यस्थल से बिना रुके प्रतिबन्धित गति से भेजना हो तो किसी भी गेज पर कार्यस्थल से कम से कम 800 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। इसके द्वारा लोको पायलट को संकेत मिलता है कि वह कार्यस्थल के नजदीक पहुँच रहा है अतः उसे अपनी गाड़ी की गति को प्रतिबन्ध के अनुसार नियंत्रित कर लेना चाहिए।

स्टाॅप इंडीकेटर

यह सिगनल लाल रंग का आयताकार होता है, जिस पर दो खड़े सफेद पट्टे बने होते हैं। इसका उपयोग तब किया जाता है जब गाड़ियों को कार्यस्थल पर रुककर जाना हो। रात के समय इसमें दो लाल बत्तियाँ जलाई जाती है या इस पर रिफ्लेक्टिव टाइप कलर किया जाता है, जो हैड लाइट की रोशनी में चमकता है व लोको पायलट को स्टाॅप इंडीकेटर की जानकारी देता है। इसे गाड़ी आने की दिशा मे  कार्यस्थल से 30 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। लोको पायलट को इस पर अपनी गाड़ी खड़ी करनी होती है व आवश्यकतानुसार लोको पायलट को वहाँ प्रतिबन्ध पुस्तिका में हस्ताक्षर करने होते हैं जो इस बात को प्रमाणित करता है कि गाड़ी वहाँ रुककर गई है।

स्पीड इंडीकेटर

यह सिगनल पीले रंग का तिकोने आकार का होता है जिस पर काले रंग से गति प्रतिबन्ध की सीमा लिखी होती है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब गाडियों को इंजीनियरिंग कार्यस्थल से बिना रुके प्रतिबन्धित गति से गुजारना हो। रात के समय इसके बगल मे  या तो बत्ती जलाई जाती है या इस पर रिफ्लेक्टिव टाइप कलर कर दिया जाता है जो कि हैड लाइट की रोशनी मे  चमकता है व लोको पायलट को इस इंडीकेटर पर लिखी गति सीमा के बारे मे  बताता है जिसका लोको पायलट को इसके आगे पालन करना होता है। इसे आने वाली गाड़ी की दिशा मे  कार्यस्थल से 30 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है।

टर्मीनेशन इंडीकेटर

यह पीले रंग का गोलाकार सिगनल होता है, जिस पर काले रंग से सवारी गाड़ी के लिए ज्च्ए मालगाड़ी के लिए ज्ळ या बाॅक्स एन वाली मालगाड़ी के लिए ज्ध्ठव्ग्छ लिखा रहता है। इसे इंजीनियरिंग कार्यस्थल के पश्चात् सेक्शन की सबसे लम्बी सवारी गाड़ी/मालगाड़ी/ बाॅक्स एन वाली गाड़ी की लम्बाई के बराबर दूरी पर लगाया जाता है ताकि इस पर पहुँचने पर लोको पायलट को ज्ञात हो सके कि कार्यस्थल गुजर गया है और उसे अपनी गाड़ी की गति को पुनः सामान्य कर लेना चाहिए।

बैनर फ्लैग

यह सिगनल लाल रंग के आयताकार कपडे  का बना होता है, जिसे दो डंडो ं की मदद से लाइन के आर-पार लगाया जाता है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब कार्यस्थल से पहले गाड़ी को रुककर जाना हो। जब इंजीनियरिं कार्य एक दिन से अधिक अवधि का हो तब इसे किसी भी गेज मे  कार्यस्थल से 27 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है। लोको पायलट को स्टाॅप इंडीकेटर पर गाड़ी खड़ी करने के बाद वहाँ तैनात व्यक्ति के पास उपलब्ध ‘प्रतिबन्ध पुस्तिका’ मे  हस्ताक्षर करने चाहिए और वहाँ से चलने की अनुमति मिलने के बाद ही हैंड सिगनलों का पालन करते हुए आगे बढ़ना चाहिए। जब इंजीनियरिंग कार्य एक दिन की अवधि का हो और गाड़ी को रुककर जाना हो तो इसे आने वाली गाड़ी की दिशा मे  कार्यस्थल से ब्राॅडगेज में 600 मीटर एवं मीटरगेज/नेरोगेज मे  400 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है।

नोटः- स्थायी गति प्रतिबंध हेतु भी उपरोक्त सिगनलों का उपयोग किया जाता है जिसका लोको पायलट को पालन करना होता है एवं इसकी जानकारी उस मंडल के वर्किंग टाइम टेबल मे  दी हुई होती है।

ग्रेडिएन्ट बोर्ड

लोको पायलट को गाड़ी संचालन के दौरान यह बताने के लिए कि लाइन पर आगे चढ़ाई आ रही है, ढलान आ रही है या लाइन समतल है, लाइन के पास विभिन्न प्रकार के बोर्ड लगाए जाते हैं जो सफेद रंग के होते हैं व उन पर लिखे अनुसार ही लोको पायलट को इसकी जानकारी मिलती है। इससे लोको पायलट को गाड़ी संचालन के दौरान गति नियंत्रित करने संबंधी मार्गदर्शन मिलता है।
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