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गाड़ी लिपिक के रजिस्टर व कार्यप्रणाली

यार्ड रिपोर्ट (ए बी सी रिपोर्ट)

किसी यार्ड मे  00 बजे से 24 बजे किए गए कार्य की एक रिपोर्ट तैयार की जाती है जिसे यार्ड रिपोर्ट या एबीसी रिपोर्ट कहते हैं। यह टेलीग्राफीकल फाॅरमेट में तैयार की जाती है जिसमें वैगनो  के आवागमन से सबंधित सभी विवरण अलग-अलग हैडिंग व सब-हैडिंग मे  लिखे जाते हैं जिसे देखकर उस यार्ड में पिछले 24 घंटो  में किए गए सभी कार्य की जानकारी प्राप्त हो जाती है। इसे रात 12 बजे के बाद यार्ड के इन्चार्ज द्वारा तैयार करके कन्ट्रोल कार्यालय मे  इसके लिए निर्धारित यार्ड रिपोर्ट क्लर्क को रिपीट किया जाता है जो इसे वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक तक पहुँचाता है। इस रिपोर्ट को तैयार करते समय निम्नलिखित कोड काम में लिए जाते हैं -
  •  लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन  की संख्या जो कि अप साइड मे  जाने के लिए तैयार खड़े है ।
  •  लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन की संख्या जो कि डाउन साइड मे  जाने के लिए तैयार खड़े है ।
  •  लोकल या फोरेन रेलवे का कुल वजन या माल जो कि अप साइड मे  भेजने के लिए जमीन पर पड़ा है।
  • लोकल या फोरेन रेलवे का कुल वजन या माल जो कि डाउन साइड मे  भेजने के लिए जमीन पर पड़ा है।
  •  भरे हुए वैगना  की संख्या जो किसी कारणवश रोके गए है ।
  •  लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन  की संख्या जिन्हे  अप साइड मे  भेज दिया गया है।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन की संख्या जिन्हे  डाउन साइड मे  भेज दिया गया है।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन की संख्याजो  अप साइड से आए है ।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन की संख्या जो डाउन साइड से आए है।
  •  लोकल या फोरेन रेलवे के खाली वैगन की संख्या जिन्हे  अप साइड मे  भेज दिया गया है।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के खाली वैगन की संख्या जिन्हे  डाउन साइड मे  भेज दिया गया है।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के खाली वैगनों की संख्या जो अप साइड से आए हैं।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के खाली वैगनो  की संख्या जो डाउन साइड से आए है ।
  • लोकल या फोरेन रेलवे के भरे हुए वैगन की संख्या जो स्टेशन पर खाली होने के लिए खड़े है ।
  • उन वैगनों की संख्या जो खाली होने के लिए आए थे और खाली हो चुके हैें।
  • ट्रान्सिपमेट द्वारा भरे गये वैगनों की कुल संख्या।
  • ब्राँच लाइन के साथ आदान-प्रदान:
  • भरे या खाली वैगनों की संख्या जो ब्राँच लाइन से प्राप्त हुए हैं।
  • भरे या खाली वैगनों की संख्या जो ब्राँच लाइन को भेजे गए है ।
  • भरे हुए वैगनों की संख्या जो ब्राँच लाइन मे  जाने के लिए तैयार खड़े है ।
  • खाली वैगनों की संख्या जो ब्राँच लाइन मे  जाने के लिए तैयार खड़े है ।
  • ब्राडगेज के वैगनो  की संख्या जो मीटरगेज/नैरागेज ट्रान्सिपमेट पाइन्ट पर 00 से 20 बजे तक ट्रान्सिपमेट के लिए खड़े है।
  • एम ड - मीटरगेज/नैरागेज के वैगनो  की संख्या  जो ब्राडगेज ट्रान्सिपमेट पाइन्ट पर 00 से 20 बजे तक ट्रान्सिपमेट के लिए खड़े है ।
  • एन छ - ब्राडगेज के वैगनो  की संख्या जिनका मीटरगेज/नैरागेज मे  00 से 20 बजे तक ट्रान्सिपमेट कर दिया गया है।
  • ओ व् - मीटरगेज/नैरागेज के वैगनो  की संख्या जिनका ब्राॅडगेज में 00 से 20 बजेतक ट्रान्सिपमेट कर दिया गया है।
  • एस.ओ.एच.  - ट्रान्सिपमेट के लिए उपलब्ध खाली वैगन (20 बजे)
  • ई.एस.आर.  00 बजे से 24 बजे तक ट्रान्सिपमेंट के लिए प्राप्त खाली वैगनों की संख्या।
  • एस.एस.टी.  - ट्रान्सिपमेट के लिए विशेष स्टाॅक।
  • डब्ल्यू.एस.  - 24 बजे मौजूद वैगन शीट।
  • डब्ल्यू.एन.छ - 24 बजे मौजूद वैगन नेट।
  • डब्ल्यू.आर. - 24 बजे मौजूद वैगन रोप।
  • जी.एक्स.  - आउट आॅफ कोर्स काटे गए वैगन

इंटरचेंज

जहाँ एक ही गेज की दो क्षेत्रीय रेलों के रोलिंग स्टाॅक की अदला-बदली की जाती है उसे इंटरचेंज कहते हैं और वह जंक्शन इंटरचेंज पाॅइन्ट कहलाता है। एक ही रेलवे के दो मंडलो  मे  स्टाॅक की अदला-बदली की जाती है उसे डिपो इंटरचेंज कहते हैं।

गुड्स स्टाॅक के इंटरचेंज के नियम

वैगनो  के इंटरचेंज के लिए जब तक डायरेक्टर वैगन इंटरचेंज, नई दिल्ली द्वारा छूट न मिली हो, ब्राॅडगेज और मीटरगेज के सभी वैगन चाहे वो किसी रेलवे के हो , किसी भी रेलवे द्वारा किसी भी स्टेशन के लिए भेजे जा सकते हैं।

नाॅन पूलेबल वैगन के इंटरचेंज के नियम
  • किसी भी नाॅन-पूलेबल वैगन को तब तक लोड नहीं किया जाएगा जब तक कि पूलेबल वैगन उपलब्ध नहीं हो तथा माल इस प्रकार का हो जो केवल नाॅन-पूलेबल (एन.पी.) वैगन में ही भर जा सकता हो।
  • प्राप्त करने वाली रेलवे वैगन को लोड कर सकती है।
  • यदि मालिक रेलवे का वह स्टेशन उसी रास्ते पर पड़ता हो जिससे कि वह वैगन आया हो।
  • वैगन के मालिक रेलवे के उसी रास्ते से जाने वाले आगे के स्टेशन का माल भेजा जा सकता है।
  • यदि लदान के लिए माल उपलब्ध न हो, खाली वैगन का मालित रेलवे के लिए शाॅर्ट रूट से भेजा जाएगा।
  • खाली नाॅन-पूलेबल वैगन को दूसरी रेलवे को नहीं भेजा जाएगा।
  • यदि भरा हुआ वैगन री-बुक किया जाए तो बिना ट्रान्सिपमेंट के अन्तिम स्टेशन को भेज दिया जाएगा।
  • यदि किसी नाॅन-पूलेबल वैगन को गलत रास्ते में  चलता पाया जाए तो सबसे कम दूरी के रास्ते  से मालिक रेलवे को भेजा जाएगा और उसकी सूचना भी दे दी जाएगीं
  • इंटरचेंज पाॅइन्ट पर प्रत्येक नाॅन-पूलेबल वैगन को स्टंसिल किया जाए तथा उसकी प्राप्ति की तारीख डाली जाए।
  • यदि प्रचलित नियमो  के विरुद्ध नाॅन-पूलेबल वैगनों की बुकिं ग कर दी जाए तो रेलवे को इस बात की रिपोर्ट भेजी जाए।
  • किसी भी प्रकार से ट्राफिक में बाधा होने पर नाॅन-पूलेबल वैगन इस घटना के 48 घंटे के अन्दर नहीं लौटाया जाए तो इसके मालिक रेलवे को सूचित किया जाएगा।
  • नाॅन-पूलेबल वैगन को तभी लोड करना चाहिए जब कि कम से कम उसकी सी.सी. के आधी के बराबर भाग लादा गया है।
  • इंटरचेंज कमिटमेट: इसका अर्थ है जो इंटरचेंज हैडक्वार्टर आॅफिस के अनुसार इंटरचेंज में निश्चित की गई गाड़ियों को भेजना जरुरी है। इसके लिए गाड़ियों को समय-समय पर तैयार करके इंटरचेज मे  भेजने के लिए सावधानी बरतनी चाहिए।

इंटरचंज पाॅइन्ट पर रखे जाने वाले रजिस्टर -
  • इंटरचेंज रजिस्टर
  • 00 बजे से 24 बजे तक इंटरचेंज का रजिस्टर
  • दैनिक जंक्शन वापसी रजिस्टर (डी.जे.आर)
  • मिक्स्ड वैगन रजिस्टर
  • नाॅन-पूलेबल रजिस्टर
  • रूट रजिस्टर
  • नाॅन-पूलेबल वैगन के गलत उपयोग का रजिस्टर
  • थ्रू वैगन एक्सचेज बुक
  • एल.टी. रजिस्टर
  • गाड़ी लिपिक पुस्तिका
  • नाॅन-पूलेबल वैगन कार्यकारी रेलवे या उपयोगकर्ता रेलवे तक उपयोग देने वाली रेलवे का रजिस्टर
  • वैगन नेट, रोप व शीट रजिस्टर
  • गलत सील और बिना लेवल का रजिस्टर
  • उपयोगकर्ता रेलवे वैगन के प्रापत होने पर सिक किये गये वैगनो  का रजिस्टर
  • कोमोडिटी रिसीव व डिस्पेच रजिस्टर
हायर पूल:
यह एक ऐसा हिसाब है जो डायरेक्टर वैगन इंटरचेंज नई दिल्ली द्वारा रखा जाता है। जो किसी रेलवे के किसी खास दिन का वैगन पूल मे  प्रोगेसिव वैगन बैलेंस बताता है।

वैगन डेज:
वैगन दिन का अर्थ है जो दिनो  की संख्या में निकाला जाता है। यह किसी रेलवे द्वारा वैगनों की उपयोगिता बताता है।

वैगन बैलेंस:

हायर पूल मे  वैगनो  की संख्या है जो किसी रेलवे का किसी खास दिन का क्रेडिट है।

इंटरचेंज बैलेंस:

इंटरचेंज पाॅइन्ट पर 00 बजे से 24 बजे तक आने व जाने वाले वैगनों के अन्तर को इंटरचेंज बैलेंस कहते हैं।

एग्रिगेट बैलेंस:

इसका अर्थ है - उस दिन उस रेलवे का सभी रेलवे के साथ हुए इंटरचेंज बैलेंस का एग्रिगेट बैलेंस कहते हैं।

कोचिंग स्टाॅक के इंटरचेंज के नियम
  • आपसी दो मिलती हुई एक ही गेज की रेलवे आपस मे  समझौता कर सकती है जब तक कि कोच फिट न हो जाए।
  • स्पेशल टाइप के फिटिंग के मामले में - मालिक रेलवे का यह अर्थ है कि इसकी सूचना समय-समय पर प्राप्त करने वाली रेलवे को दे।
  • कोचिंग स्टाॅक को कम से कम दूरी से वापस किया जाए।
  • विशेष वाहनों लगेज, वान, पार्सल वान, मोटर वान, हाॅर्स वान आदि कोचों के लिए इंटरचेज पाॅइन्ट के अन्तिम स्टेशन तक 121 कि.मी. या उसके भाग को एक दिन रखने की ओर अन्तिम स्टेशन पर दो दिन रखने की इजाजत है।
  • गाड़ियों के संचार साधनों में रुकावट होने पर मालित रेलवे को इस घटना के 48 घंटे के अन्दर सूचित किया जाना चाहिए।
  • किसी स्पेशल या मिलिट्रि स्पेशल रवाना होने से पहले एक रिपोर्ट तैयार की जाएगी जिसमें गाड़ी के प्रत्येक कोच मे  नुकसान और कमियों का विवरण लिया जाएगा। उसकी एक काॅपी रिकाॅर्ड के लिए उस स्टेशन पर, दूसरी गार्ड को गार्ड बदलने पर अगले गार्ड को दना और तीसरी काॅपी उस गाड़ी के इन्चार्ज को दी जाएगी जो अन्तिम स्टेशन के स्टेशन मास्टर के पास जमा करा देगा। उसके आधार पर यदि कोच मे  कमी पाई जाए तो इन्चार्ज से हर्जाना वसूल किया जाएगा।
कोचिंग स्टाॅक रिपोर्ट (सी.एस.आर.)

यह रिपोर्ट उन स्टेशनो  पर बनाई जाती है जहाँ अधिकांशतः कोचिंग मौजूद रहता है। इसे 00 बजे कन्ट्रोल फोन द्वारा एव  डाक द्वारा सी.पी.टी.एम. को तथा प्रति मंडल के वरि. मंडल परिचालन प्रबंधक एवं मुख्य नियंत्रक को दे दी जाती है। इसमे ं निम्नलिखित कोड उपयेाग में लाए जाते हैं -

‘ए’ - स्पेयर स्टाॅक

‘बी’ - रिजव्र्ड स्टाॅक

‘सी’ - एंगेज्ड स्टाॅक

‘डी’ - फोरेन रेलवे का स्टाॅक (मालिक रेलवे के नाम के साथ)

‘ई’ - सिक कोच (सी एण्ड डब्ल्यू विभाग के खाते पर 24 घंटे तक सिक)

‘ई/1’ - सिक कोच (सी एण्ड डब्ल्यू विभाग के खाते पर 48 घंटे तक सिक)

‘ई/2’ - सिक कोच (सी एण्ड डब्ल्यू विभाग के खाते पर 72 घंटे तक सिक)

‘एफ’ - सिक कोच (बिजली विभाग के खाते पर 24 घंटे तक सिक)

‘एफ/1’ - सिक कोच (बिजली विभाग के खाते पर 48 घंटे तक सिक)

‘एफ/2’ - सिक कोच (बिजली विभाग के खाते पर 72 घंटे तक सिक)

‘जी’ - सिक कोच यार्ड मे  24 घंटे से पड़े हैं।

‘जी/1’ - सिक कोच यार्ड मे  48 घंटे से पड़े हैं।

‘जी/2’ - सिक कोच यार्ड मे  72 घंटे से पड़े हैं।

‘एच’ - पी.ओ.एच. (पीरियाडिकल ओवरहाॅलिंग) के लिए ड्यू

नोट: कोचिंग स्टाॅक रिपोर्ट के प्रत्येक कोच के सामने कोच का नम्बर तथा मालिक रेलवे का नाम लिखा जाता है। उपरोक्त हेड ‘डी’ के अन्तर्गत कोच के सामने रेलवे का नाम लिखा जाता है।

कोचिंग स्टाॅक रिपोर्ट के लाभ:
  • कोचिंग स्टाॅक रिपोर्ट द्वारा अधिकारियों को यह जानकारी मिल जाती है कि यार्ड मे  किस प्रकार के व कितने कोच पड़े हैं।
  • कोचों का सही उपयोग किया जा रहा है या नहीं।
  • पी.ओ.एच. के लिए ड्यू कोच की संख्या का पता लग जाता है।
  • सिक कोचों की संख्या का पता लग जाता है।

मार्शलिंग यार्ड में गाड़ी लिपिक द्वारा तैयार किये जाने वाले रजिस्टर और उसके उपयोग
  • कन्ट्रोल आॅर्डर बुक
  • अन-कनेक्टेड वैगन रजिस्टर
  • सिक वैगन रजिस्टर
  • लोड रिपोर्ट रजिस्टर
मालगाड़ियों के देर से प्रस्थान होने पर समय बताने वाला रजिस्टर
  • दैनिक गाड़ियों के आवागमन का रजिस्टर
  • स्पेशल स्टाॅक रजिस्टर
  • वैगन डिटेन्शन रजिस्टर
  • डीजल डिटेन्शन रजिस्टर
  • इनवर्ड-आउटवर्ड या मार्शलिंग रजिस्टर
  • आउटवर्ड-इनवर्ड नम्बर टेकर बुक
  • यार्ड वैगन बैलेंस रजिस्टर
  • ट्रेन एडवाइस रजिस्टर
  • गाड़ी परीक्षण सूचना
  • ओ.डी.सी. रजिस्टर
  • लोकल वैगन एक्सचेज बुक
  • थ्रू वैगन एक्सचेज बुक
  • वैगन ट्रान्सफर रजिस्टर
  • ए.बी.सी. या यार्ड रिपोर्ट
  • लोड रजिस्टर
  • नाॅन-पूल्ड वैगन रजिस्टर
  • सील चैक रजिस्टर
  • आॅयल टैक रजिस्टर
  • फेजवाइस वैगन डिटेन्शन रजिस्टर
  • गाड़ी लिपिक चार्ज बुक
  • वैगन शीट, नेट एवं रोप रजिस्टर
  • वैगन इंडेक्स रजिस्टर
  • कोचिंग स्टाॅक रजिस्टर
  • मार्शलिंग के आँकड़ो  का रजिस्टर
  • व्हीकल गाइडेस रजिस्टर
  • व्हीकल गाइडेस फाॅर्म
  • शंटिग वाउचर फाॅर्म व रजिस्टर
  •  क्यू.टी.एस. रजिस्टर
  • कंटेनर रजिस्टर
  • बी.पी.जी. इंटरचेंज रजिस्टर
  • शंटिग आॅर्डर बुक
  • डैमेज वैगन रजिस्टर
  • इंजर टर्न राउन्ड रजिस्टर
  • ब्लाॅक रैक रजिस्टर
  • ट्रांसिपमेंट रजिस्टर
  • अन्य इंजन घंटे वाउचर
  • अन्य रजिस्टर समय-समय पर निर्देशों के अनुसार 

लोड रिपोर्ट

यह रिपोर्ट उन स्टेशनों से 00 बजे मुख्य नियंत्रक और वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक को दी जाती है जहाँ से मिश्रित व मालगाड़ियाँ बनकर चलती हैं। यह लोड रजिस्टर से तैयार की जाती है। इसमे  निम्नलिखित कोड उपयोग मे  लाए जाते हैं -
  1. यू - अप साइड मे भेजी गई गाड़ियाँ
  2. डी - डाउन साइड मे  भेजी गई गाड़ियाँ
  3. बी - ब्राँच लाइन मे  भेजी गई गाड़ियाँ
  4. एल.ई. - लाइट इंजन
  5. आर/कुल लोड - जो उन गाड़ियों में भेजा जाना था।
  6. एल - वास्तविक लोड जो भेजा गया।
  7. एफ - रास्ते के स्टेशनों के लिए छोड़ी गई जगह
  8. यू/एल - अन्डर लोड भेजी गई गाड़ी
यह रिपोर्ट लोड रजिस्टर से तैयार की जाती है जिसमें हर दिशा मे  भेजी गई गाड़ियों का विवरण होता है।

लोड रिपोर्ट के लाभ:

इस रिपोर्ट के आधार पर इंजनों के सही उपयोग की पूर्ण जानकारी मिलती है। कम लोड भेजने पर इंजन के दुरुपयोग पर कड़ी निगरानी रखी जा सकती है। इस रिपोर्ट के आधार पर अगले यार्डों को लम्बी दूरी की गाड़ियाँ बनाने की आज्ञा दी जाती है।

ब्लाॅक रैक

तात्पर्य - ब्लाॅक रैक का अर्थ है, मनोनित वाहनो  का समूह। कोचों और वैगनों का ऐसा सेट है जिनका विशेष रूप से मार्शलिंग करके किसी सेक्शन मे  चलाने के लिए किसी मनोनित पैसेंजर या मालगाड़ी के लिए चुना गया है। इन्हें मुख्य परिचालन प्रबंधक की आज्ञा के अनुसार मनोनित किया जाता है।

उद्देश्य -
  • ब्लाॅक रैक की मे टेनेस, रिपेयर और पी.ओ.एच. एक ही समय मे  किया जा सके।
  • कोचों मे  उचित बैटरी चार्जिंग द्वारा लाईट की व्यवस्था करना।
  • गाड़ियों को आकर्षक व सुन्दर बनाना।
  • यथासंभव बड़े स्टेशन पर शंटिग के काम को कम से कम करना।
  • ब्लाॅक रैक के अंतराल दरवाजे (वेस्टीब्यूल) से भोजनयान सुविधाएं आसानी से प्राप्त होती है।
  • इसके द्वारा सवारियों को अपनी श्रणी के कोचो  को ढूढने मे  आसानी रहती है।
  • व्यापारियों को माल चढ़ाने एवं उतारने मे  सुविधा रहती है।
  • माल बिगड़ने और चोरी हो जाने की संभावना नहीं रहती है।
  • माल गोदाम पर लोडिंग और अनलोडिंग में कम समय लगता है और अधिक सुविधा रहती है।
  • वैगनो  का खाली घूमना कम हो जाता है और व्यापारियों मे  रेलवे के प्रति साख पैदा होती है।
  • दुर्घटनाएं कम होती है।
  • समयपालन बनाए रखने मदद मिलती है।

ब्लाॅक रैक संबंधी नियम -

कोई भी कोच ब्लाॅक रैक से तब तक अलग नहीं किया जाएगा जब तक कि वह सिक न हो। यदि कोई कोच सिक हो जाता है तो उसकी सूचना मुख्य परिचालन प्रबंधक, प्रारम्भिक स्टेशन एव  उस गाड़ी के गंतव्य स्टेशन को दी जाएगी। जब कभी वह फिट हो जाता है तो उस सर्वप्रथम बैस स्टेशन पर भेजा जाएगा तथा उसे उसी रैक में लगाने पर भी इसी प्रकार सभी को सूचना दी जाएगी।
  • यदि सिक वाहन के स्थान पर कोई अन्य वाहन लगाया जाए तो मुख्य परिचालन प्रबंधक की अनुमति आवश्यक है।
  • डिब्बा अलग करने के लिए मुख्य परिचालन प्रबंधक की आज्ञा लेनी पड़ती है।
  • प्रत्येक ब्लाॅक रैक का सामान्य कम्पोजिशन ब्लाॅक रैक एवं मार्शलिंग पुस्तिका में छपा रहता है।
  • ब्लाॅक रैक का नम्बर कोच के पैनल पर बांयी ओर लिखा रहता है।
  • किसी एक ब्लाॅक रैक का कोच दूसरे ब्लाॅक रैक मे  नहीं लगाया जा सकता है।
  • पी.ओ.एच. के लिए ब्लाॅक रैक एक साथ भेजा जाएगा।
  • प्रत्येक वाहन पर एक नोटिस बोर्ड लगा रहेगा जिस पर गाड़ी का नम्बर, गाड़ी का नाम, से-तक स्टेशन, कोच का प्रकार एव  नम्बर लिखा जाएगा।

वैगन टर्न राउन्ड

वैगन का दो क्रमवार लदानों के बीच का समय जो दिनों में निकाला जाए, वैगन टर्न राउन्ड कहलाता है। उदाहरणार्थ एक वैगन सोमवार को सुबह 10.00 बजे लोडिंग के लिए रखा गया, लोडिंग के बाद गंतव्य स्टेशन पर खाली करने के लिए रखा गया, इसके पश्चात् खाली होने के बाद वहाँ से पुनः क्लियर करके लोडिंग पाॅइन्ट पर शुक्रवार को सुबह 11.00 बजे रखा गया। इस प्रकार कुल वैगन टर्न राउन्ड उक्त वैगन के लिए 4 दिन एवं 1 घंटा होगा। सभी उपलब्ध वैगनो  को औसत के आधार पर निश्चित अवधि के लिए निकाले गए वैगन टर्न राउन्ड को औसत वैगन टर्न राउन्ड कहेंगे।

वैगन टर्न राउन्ड निकालने का सूत्रः

सर्विस योग्य वैगनों की संख्या

एल $ एल.टी. $ एल.आर एल = लोकल लदान किए गए वैगन

एल.टी. = ट्रान्सिपमेंट से लोकली लोड किए गए वैगनो  की संख्या

एल.आर. = भरे हुए वैगनों की संख्या जो दूसरी रेलवे से प्राप्त हुए

उदाहरणार्थ:

सर्विस योग्य कुल वैगन = 700

लोकल लदान किए गए वैगन = 100

ट्रान्सिपमेट पाॅइन्ट पर भरे गए वैगन = 50

दूसरी रेलवे से प्राप्त भरे हुए वैगन = 200

700  =    700 = 2 दिन

100 $ 50 $ 200 350

वैगन टर्न राउन्ड सुधारने के उपाय:

वैगन टर्न राउन्ड की गणना दिनों मे  की जाती है। वैगन को अधिकाधिक उपयोग इस बात से स्पष्ट होता है कि वैगन कम से कम दिनों मे  पुनः लोडिंग के लिए उपलब्ध कराया जाए। जिससे रेल की आय नों बढ़ोतरी हो एव  परिचालन अनुपात कम हो। सुधार के उपाय मे  दिनों को कम करने का प्रयास किया जाए जो निम्नलिखित है -
लादे गए माल की मात्रा को शीघ्र अनलोड करना और यदि गोदाम पर दुबारा लोड किया जा सके तो शीघ्र लोड करवाकर डिस्पेच यार्ड मे  भेजना।
  • ब्लाॅक रैक व लम्बी दूरी की गाड़ियाँ बनाना।
  • गाड़ियों की गति को बढ़ाना।
  • शीघ्र प्लेसमेट करना।
  • वैगनो  के खाली संचालन मे  कमी लाना।
  • स्थान शुल्क व विलम्ब शुल्क वसुली में सख्ती बरतना।
  • सिक वैगनों को जल्दी से जल्दी फिट कराना।
  • खुले वैगनो  पर तिरपाल बाँधकर काम में लेना।
  • लोडिंग व अपलोडिंग के लिए उचित व पर्याप्त हमालों की व्यवस्था करना।
  • वैगनो  के बेकार खड़े रहने में कमी लाना।
  • कर्मचारियों को प्रोत्साहन देने हेतु ईनामी योजना लागू करना।
  • यानान्तरण स्थलों पर वैगनों के विलम्ब को कम करना।
  • अनकनेक्टेड वैगनो  का शीघ्रताशीघ्र निपटारा करना।
  • फाॅइस का अधिकाधिक उपयोग करना। इसके द्वारा निर्धारित योजना एवं निर्णय को अपनाना।

वैगन सेन्सस (गणना)
वैगन सेन्सस का अर्थ है वैगनों की गणना जिसके आधार पर रेलवे या किसी मंडल मे  किसी दिन और समय पर कितने वैगन मौजूद हैं जिसके द्वारा वैगनो  की होल्डिंग केपेसिटी की जानकारी प्राप्त हो सके। वैगन गणना प्रत्येक वर्ष की जाती है। यह वैकल्पिक रूप से ब्राॅडगेज और मीटरगेज मे  मैनेजर वैगन एक्सचेज की आज्ञा से की जाती है। वैगन की संख्या में अन्तर मिलने पर उसमे सुधार किया जाता है। प्रत्येक वैगन सेन्सस के परिणाम को उस रेलवे का प्रारम्भिक शेष माना जाता है और इंटरचेंज का शुद्ध अन्तर आगे ले जाते है  तथा अन्त मे  प्रत्येक रेलवे के साथ डेबिट या क्रेडिट किया जाता है।

प्रारम्भिक एडजस्टमेंट -

प्रारम्भिक एडजस्टमेंट किया जाता है जिसके आधार पर सेंसस बैलेंस को समाप्त कर दिया जाता है।

अन्तिम एडजस्टमेंट -

गणना के बाद वैगन सेंसस में यदि कोई प्रविष्टि गलत कर दी गई है या किसी वैगन के लगातार चलते रहने के कारण गणना न की जा सकी हो तो किराया मालिक रेलवे के खाते में जमा कर लिया जाता है और गलत दर्ज किए गए वैगनों का किराया मालिक रेलवे के खिलाफ डेबिट कर दिया जाता है।

वैगन गणना की विधि -

वैगन गणना के लिए टैली बुक की मदद ली जाती है। एक टेली बुक में 99 वैगनों की प्रविष्टि करने के लिए काॅलम होते है। (वर्तमान में इसमें और अधिक वैगन का विवरण लिखने हेतु स्थान बनाया गया है) टैली बुक वैगनों के लिए काली स्याही में व ब्रेकवान के लिए लाल स्याही में छपी होती है। टैली बुक के आधार पर ब्लाॅक सारणी तथा इसके आधार पर सर्किल सारणी बनाई जाती है। प्रत्येक मंडल को डिस्ट्रिक, सर्किल व ब्लाॅक में बांटा जाता है। प्रत्येक मंडल का इन्चार्ज वरिष्ठ मडल परिचालन प्रबंधक होता है। मंडल को अलग-अलग डिस्ट्रिक में, डिस्ट्रिक को सर्किल में तथा एक सर्किल 10 ब्लाॅक मे  बांटा जाता है। सर्किल मे  2000 वैगन होते हैं तथा इसका इन्चार्ज सर्किल सुपरवाइजर होता है। ब्लाॅक में अधिकतम 200 वैगन होंगे।

गणना के नियम -
  • इससे यार्डो  की होल्डिंग क्षमता का पता चलता है।
  • वैगन गणना के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किये जाते हैं।
  • खोये हुए वैगनों का पता चलता है।
  • सिक व डैमेज वैगनों की सही स्थिति का पता चलता है जिसका उल्लेख टैली बुक के रिमार्क काॅलम में रहता है।
  • वैगन गणना से बकाया का भुगतान होता है।
  • रजिस्टर व अन्य रिपोर्ट में प्रविष्टियां पूरी की जाती है।
  • प्रत्येक वैगन पर स्टेसिल या चाॅक के साथ त्रिकोण में ‘‘सी’’ मार्क किया जाता है।
  • सभी गाड़ियों को ठीक 12 बजे रोककर गणना की जाती है।
  • सवारी तथा माल गाड़ी की गणना तिथि अलग-अलग तय की जाती है।
  • लाइन के किनारे पड़े वैगनो  की सेसस सेक्शन इंजीनियर (रेलपथ) द्वारा की जाती है।
  • वैगन गणना के समय शंटिग कार्यवाही रोक देनी चाहिए।
  • गणना करते समय शीशे की मुलायम व नुकीली पेसिल उपयोग में  ली जानी चाहिए।
  • वैगनो  की गणना दोनो  ओर से अलग-अलग व्यक्तियों द्वारा की जानी चाहिए और उसके बाद मिलान करना चाहिए।
  • चलती गाड़ी की वैगन गणना किसी स्टेशन पर रोककर एक साइड से स्टेशन मास्टर एवं दूसरी ओर से गार्ड द्वारा की जाती है जिसकी सूचना वैगनों की संख्या मे  (यूनिटों में नहीं) कंट्रेालर, वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक और सर्किल सुपरवाईजर को भेजी जाती है।
  • वैगन गणना के कार्य हेतु अनुभवी कर्मचारियों को लगाया जाना चाहिए तथा नये कर्मचारियों को प्रशिक्षण लेना चाहिए।
वैगन गणना के लाभ -
यार्डों की होल्डिंग केपेसिटी निश्चित की जाती है। वैगन की गणना के आधार पर लक्ष्य निर्धारित किये जाते है।
खोये हुए वैगनों का पता लग जाता है।
सिक और डेमेज वैगनों की सही स्थितियों का पता लग जाता है।
वैगनो  के बकाया किराये का भुगतान हो सकता है। रजिस्टर तथा अन्य रजिस्टरो  में इससे प्रविष्टियाँ पूरी की जा सकती है।

काउंटिंग आॅफ लोड

भार देने का तरीका - किसी भी माल गाड़ी में कितने 4 व्हीलर (चार पहिये वाली गाड़ी) लगाये जा सकते है। यह उस गाड़ी में लगाये गये इंजन पर निर्भर करता है और किसी भी गाड़ी में कितने यूनिट लगेंगे यह सेक्शन की लूप लाइन की क्षमता और रूलिंग ग्रेडियंट पर निर्भर करता है। गाड़ियों में दिया जाने वाला भार वर्किंग टाइम टेबल में लिखा रहता है। यह दो विधियों से गिना जाता है -

व्हीकल सिस्टम - यह प्रणाली सभी यात्री गाड़ियों में लागू होती है इसे यूनिट प्रणाली कहते है।

टनेज सिस्टम - यह प्रणाली सभी माल गाड़ियों में लागू होती है तथा मीटरगेज के घाट सेक्शन पर यह विधि सभी यात्री गाड़ियों पर भी लागू होती है। इसे टनेज प्रणाली कहते है।

ब्राॅडगेज -
  • सभी 4 या 6 पहिया वाहन को एक यूनिट माना जाता है।
  • सभी बोगी वाहन को दो यूनिट माना जाता है।
  • बाॅक्स वैगन को 2.5 यूनिट माना जाता है।
  • बीकेएच, केओएच, बीओबीवाई तीन यूनिट गिना जाता है।
  • सभी कोचिंग स्टाॅक जब माल गाड़ी मे  लगाया जाता है तब ढ़ाई यूनिट गिना जाता है।
  • कोचिंग स्टाॅक जब सवारी गाड़ी मे  हो तो दो यूनिट गिना जाता है।
मीटरगेज -
चार व छः पहिये वाले वैगन/वाहन को एक यूनिट माना जाता है।
सभी बोगी स्टाॅक या आठ पहिये वाले वैगन को दो यूनिट माना जाता है।
सभी भरे वैगनों की लेबल पर टेयर वेट, नेट वेट और ग्राॅस वेट लिखा रहता है। वैगनो  का वजन करते समय कुल वजन गिना जाता है अगर वजन खाली हो तो टेयर वेट लिखा जाता है। वैगन मे  लदान करते समय एक्सल लोड एवं उस वैगन में एक्सल लोड से अधिक प्रदान की गई छूट का ध्यान रखा जाता है।

एक्सल लोड
एक्सल लोड अर्थात वह लोड जो किसी वाहन और उसमे  लदे हुए माल का वजन जो एक जोड़े पहिये पर पड़ रहा हो जिसमे  एक्सल और पहियों का वजन भी शामिल है।
यह उस सेक्शन में लगी रेलों के वजन पर निर्भर करता है जिसका विवरण संचालन समय सारणी मे  दिया होता है।

ब्रेक पावर व ब्रेक वेट

ब्रेकपावर - चलती हुई गाड़ी के डिब्बों के पहिये पर स्वचलित ढंग से या हैण्ड ब्रेक लगाकर गाड़ी की चाल मे  अवरोध डालने वाली शक्ति को ब्रेकपावर कहते है। ब्रेक पावर दो तरह से सप्लाई की जा सकती है आॅटोमेटिक वैक्यूम ब्रेक (एवीबी) या एयर ब्रेक द्वारा एव  हैण्ड ब्रेक।
विशेष अनुदेशों के अंतर्गत वैगनो  के साइडो  मे  लगे हैण्ड ब्रेक घाट सेक्शन मे  ब्रेक पावर मे सम्मिलित है। ब्राॅडगेज एवं मीटरगेज की सभी यात्री गाड़ियाँ एव  कुछ विशेष मालगाड़ियाँ 100 प्रतिशत ब्रेकपावर वाली होनी चाहिए।
ब्राॅडगेज एवं मीटरगेज में अन्य सभी माल गाड़ियों मे  कम से कम 85 प्रतिशत ब्रेक पावर होने पर उसे फुल ब्रेकपावर माना जाएगा। घाट सेक्शन मे  जाने वाली सभी गाड़ियाँ 100 प्रतिशत ब्रेकपावर वाली होनी चाहिए।
ब्राॅडगेज एव  मीटरगेज मे  मेटेरियल ट्रेन पार्शियल ब्रेकपावर से चलाई जा सकती है। ब्राॅडगेज में इसके लिए खाली वजन के 10 प्रतिशत के बराबर एव  मीटरगेज मे  6 प्रतिशत कार्यशील ब्रेकपावर वाले खाली हाॅपर वैगन इंजन के साथ होना आवश्यक है।

ब्रेकवेट - मानव सहित ब्रेकवान का जो टेयर वेट होता है उसे ब्रेक वेट कहते हैं। किसी गाड़ी के बिना ब्रेकपावर (नाॅन एवीबी) वाले भाग का 4 प्रतिशत (कहीं-कहीं 6 प्रतिशत मंडल के आधार पर) टेयर वेट होना चाहिए ताकि आवश्यकता पड़ने पर हैंड ब्रेक द्वारा वह गाड़ी के भाग को नियंत्रित कर सके।

गाड़ी लिपिक की हैण्ड बुक

गाड़ी लिपिक हैण्ड बुक को नम्बर टेकर बुक भी कहते है।   यार्डाे  और महत्वपूर्ण जंक्शन स्टेशनों पर इस रजिस्टर में उस स्टेशन पर गाड़ियों द्वारा यात्रा समाप्त होने पर या शुरू करने पर पूरा विवरण लिखा जाता है। कुछ स्टेशनो  पर जहाँ अधिक गाड़ियाँ आती जाती है वहा  आउटवर्ड / इनवर्ड नम्बर टेकर बुक अलग-अलग तैयार की जाती है। जंक्शन स्टेशनो  पर हर ब्रांच लाईन के लिये अलग-अलग तैयार की जाती है। जहाँ सवारी और माल गाड़ी की संख्या अधिक होती है वहाँ माल और सवारी गाड़ी के लिये अलग-अलग तैयार की जाती है। इस रजिस्टर मे  निम्नलिखित प्रविष्टियाँ दर्ज करने के लिये काॅलम होते है -

1. मंडल ................................. 2. स्टेशन ..................................

3. इंजन नं.................................. 4. गाड़ी नं...................................

5. आने का समय व दिनांक ...................... 6. प्रस्थान का समय व दिनांक ....................

7. हस्ताक्षर.................................



व्हीकल गाईडेंस (टी-152 बी)

यह फाॅर्म गाड़ी लिपिक द्वारा आवश्यकतानुसार 2 या 3 प्रतियों मे  उन स्टेशनों पर तैयार किया जाता जहाँ से गाड़ियाँ बनकर चलती है। इसे आउटवर्ड नबंर टेकर बुक से तैयार करके गाड़ी के निर्धारित प्रस्थान समय से 30 मिनट पूर्व गार्ड को दे देना चाहिए। अगर इसे बनाने मे किसी प्रकार की कोई गलती हो जाये तो उसे काटकर पुनः लिखकर स्पष्ट रूप से हस्ताक्षर करने चाहिये। व्हीकल गाईडेस मे  गाड़ी के इंजन से ब्रेकवान

तक या आखिरी डिब्बे तक मार्शलिंग आॅर्डर के अनुसार वैगनों/कोचो  का पूर्ण विवरण लिखा जाना चाहिए। गार्ड को व्हीकल गाईडेस प्राप्त हो ने के बाद उससे गाड़ी के वास्तविक मार्शलिंग आॅर्डर का मिलान करना चाहिये कि गाड़ी उसी आॅर्ड र में संरक्षा की दृष्टि से सुरक्षित है। इसमे  निम्न विवरण भरे जाते है -

1. स्टेशन ........................................

2. मंडल ........................................

3. गाड़ी नं. व उसका विवरण ........................................

4. प्रस्थान समय ........................................

5. स्टेशन को .................................

उपरोक्त विवरण सभी गाईडेस मे  उल्लेखित होते है।



कंसिस्ट व्हीकल गाइडेंस

व्हीकल गाइडेंस का सुधरा हुआ रूप कंसिस्ट है जो केवल ब्राॅडगेज में इंटरचेंज की गाड़ियों के लिये बनाई जाती है। इसे 4 प्रतियों में तैयार किया जाता है। इसे बनाने में सावधानी रखनी चाहिये क्योंकि इसकी प्रति को रेलवे बोर्ड को भेजा जाता है। इस फाॅर्म को निम्नलिखित तीन भागों में बांटा गया है -

डाटा - इसमे गाड़ी का नम्बर, टाईम, से व तक, इंजन का प्रकार व नम्बर तथा लोको पायलट व गार्ड का नाम।

 व्हीकल डाटा - व्हीकल गाइडेंस के इंजन से अंतिम डिब्बों तक का मार्शलिंग के अनुसार विवरण लिखा जाता है।

 क्लाजिग समरी - इसमें समरी लिखी जाती है।

रनिंग डायरी

रनिंग डायरी (आर.डी.) आउटवर्ड नम्बर टेकर बुक से तैयार की जाती है, इसमें गाड़ी लिपिक प्रत्येक जाने वाली गाड़ी के इंजन से आखिरी डिब्बे तक का विवरण दर्ज करता है। यह आर.डी. कंट्रोल और इंजन चेंजिंग स्टेशन को दोहराई जाती है। इसमे  निम्नलिखित विवरण होते है -

1. गाड़ी नम्बर व नाम

2. तारीख

3. प्रस्थान का समय

4. कहाँ से कहाँ तक

5. कुल यूनिट और भार

6. इंजन का प्रकार व नम्बर

7. लोको पायलट नाम

8. गार्ड का नाम

यदि इंजन के साथ स्पेशल स्टाॅक लगा हो जैसे बी.एफ.आर., बी.एफ.यू. आदि तो उसका विवरण और से-तक आर.डी. मे  दर्शाया जायेगा। रास्ते के स्टेशन के लिए किसी प्रकार की जगह छोड़ी गई हो तो कितनी जगह, किस स्टेशन के लिए है यह भी लिखा जाता है।

उद्देश्य एवं लाभ -
आर.डी. के आधार पर कंट्रोलर रोड साईड स्टेश्नों को अगर वैगन काटना या लगाना हो तो इसकी सूचना देता है। आर.डी. के आधार पर अंतिम स्टेशन को यह जानकारी मिल जाती है कि किस-किस दिशा के कितने-कितने वैगन गाड़ी में आ रहे हैं। इस लोड के आधार पर स्टेशन से गाड़ियाँ आॅर्डर की जाती है।
इंजन चजिंग स्टेशन पर पूर्व में सूचना मिल जाने से आगे के लिए गार्ड व लोको पायलट की व्यवस्था करता है।
गाड़ियों मे  आने वाले इंजनों की पूर्व में सूचना मिल जाती है। जिनका उपयोग अन्य गाड़ियों में किया जाता है।

यार्ड बैलेंस रजिस्टर

यह रजिस्टर बड़े स्टेशनों और सभी यार्डों में वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक की आज्ञानुसार गाड़ी लिपिक द्वारा तैयार किया जाता है। इस रजिस्टर के द्वारा यार्ड में अलग-अलग दिशाओं में, खाली और भरे हुए, स्पेशल स्टाॅक व उनके जाने की दिशा एक ही नजर में जानी जा सकती है। ऐसे स्टेशन जहाँ अधिक गाड़ियाँ आती-जाती हैं वहाँ हर दिशा के लिए अलग-अलग रजिस्टर रखे जाते हैं। इस रजिस्टर के बाये  भाग मे  लोडेड
 वैगनो  का विवरण और दाये  भाग में एम्प्टी वैगनो  का विवरण उपयुक्त काॅलमो  मे  दर्ज किया जाता है। ब्रेकवान, सिक वैगन, डैमेज वैगन, पी.ओ.एच. ड्यू आदि के लिए अलग-अलग काॅलम बनाये जाते हैं। इस रजिस्टर मे  0 से 24 बजे तक आने वाले सभी  फिट वैगनों का विवरण दर्ज किया जाता है। 00 बजे पर बैलेंस को कम करके लाइन खींचकर अगली तारीख के लिए अग्रेषित किया जाता है और आने जाने वाले फिट वैगनों का विवरण दर्ज किया जाता है। तत्पश्चात् नया बैलेंस निकाला जाता है। गाड़ी लिपिक 8 बजे, 16 और 24 बजे यार्ड बैलेंस को कंट्रोल को रिपीट करता है। 08 बजे वाले वैगन बैलेंस के नीचे लाल स्याही से निशान लगा दिया जाता है इसे यार्ड चेक कहते है। निश्चित समय के लिए आवश्यकता पड़ने पर किसी भी समय यार्ड बैलेंस पता कर सकते हैं और इसी के आधार पर गाड़ियों का आॅर्डर किया जाता है। यदि ट्रेन नहीं बन पाती है तो आदेशित गाड़ी का आदेश रद्द किया जाता है।

वैगन एक्सचेंज रजिस्टर

यह रजिस्टर प्रत्येक स्टेशन व यार्ड, जहाँ गाड़ी लिपिक हो, वहाँ गाड़ी लिपिक द्वारा और जहाँ गाड़ी लिपिक नही हो वहाँ पर स्टेशन मास्टर द्वारा तैयार किया जाता है। रजिस्टर मे  अपने स्टेशन पर आने वाले वैगनों का आने से लेकर जाने तक के समय का पूर्ण विवरण दर्ज किया जाता है तथा कुल विलम्ब भी निकाला जाता है और अंत मे  औसत विलम्ब निकाला जाता है जो दो रजिस्टरों मे  तैयार किया जाता है - 

1. लोकल वैगन एक्सचेंज बुक 
2. थू्र वैगन एक्सचेंज बुक

लोकल वैगन एक्सचेंज बुक: इस रजिस्टर को पी.यू. रजिस्टर भी कहते है। जैसे ही वैगन प्राप्त होते है, उनका पूर्ण विवरण लिख दिया जाता है और वैगन जाने के बाद पूर्ण विवरण दर्ज कर दिया जाता है। हर माह की 1 से 10, 11 से 20 एव  21 से माह की आखिरी तारीख तक वैगनो का कुल योग और कुल विलम्ब निकाला जाता है फिर प्रत्येक विलम्ब का औसत निकाला जाता है। इस रजिस्टर मे  निम्न काॅलम होते है -


 थ्रू वैगन एक्सचेंज बुक: यह जंक्शन तथा  स्टेशनो  पर आने व जाने वाले वैगनों का विवरण दर्ज करने के लिए तैयार किया जाता है। इसमे  भी लगभग सभी वैगन एक्सचेज बुक जैसे ही काॅलम होते है तीनों अवधियों का अलग-अलग औसत और कुल विलम्ब निकाला जाता है। इसमे  निम्न काॅलम होते है -

यह रजिस्टर प्रत्येक यार्ड और स्टेशन पर सिक हुए वैगन का सिक होने के समय से फिट होने के समय तक का पूर्ण विवरण दो भागो  मे  दर्ज किया जाता है। इसमे  निम्नलिखित विवरण दर्ज किया जाता है -

फैज वाईज वैगन डिटेन्शन रजिस्टर (टी-18बी)

यह रजिस्टर उन यार्डो  मे  रखा जाता है जहाँ बहुत से वैगनो  का आना-जाना होता है व उन्हे  विभिन्न स्थितियों से गुजरना पड़ता है। यह रजिस्टर गाड़ी लिपिक द्वारा तैयार किया जाता है। इस रजिस्टर मे  वैगन जिन अलग-अलग स्थितियों से गुजरता है उन स्थितियों का अलग-अलग विलम्ब निकाला जाता है। किसी वैगन को अधिकृत समय से अधिक विलम्ब करने वाले जिम्मेदार कर्मचारी या व्यापारी पर उचित कार्यवाही की जा सकती है।

इसके अंतर्गत पी.यू./एम्प्टी का यार्ड मे  आगमन से प्लेसमेट, प्लेसमेंट से अनलोडिंग/लोडिंग, अनलोडिंग/लोडिंग से यार्ड की तरफ आगमन (रिमूवल) और यार्ड से पुनः गंतव्य की ओर प्रस्थान का अलग-अलग डिटेशन निकाला जाता है तथा इसी तरह सिक वैगनो  का भी फैजवाईज डिटेंशन निकाला जाता है।

अनकनेक्टेड वैगन रजिस्टर (टी-80 बी)

जब किसी भरे हुए वैगन के गंतव्य स्टेशन का लेबल न होने के कारण या गलत लेबल के कारण पता न चलता हो अथवा कोई व्यापारी भरे माल की डिलीवरी लेने नहीं आता हो तो ऐसे वैगनों को अनकनेक्टेड वैगन कहते है। ऐसे वैगनों का विवरण अनकनेक्टेड वैगन रजिस्टर में दर्ज किया जाता है, जो गाड़ी लिपिक द्वारा व्हीकल गाईडेंस या कन्ट्रोल से प्राप्त आर.डी. द्वारा या पिछले स्टार्टिंग स्टेशन से प्राप्त किया जाता है। इस विवरण के आधार पर उस वैगन को कनेक्ट करने का प्रयास किया जाता है। अगर वैगन मे  पेरिशेबल माल हो तो वरि. मंडल वाणिज्य प्रबंधक के परामर्श से उसे नीलाम कर दिया जाता है। अगर ऐसा माल जो रेल कार्य के उपयोग में आ सकता है तो उस माल को रेलवे उपयोग मे  ले लेती है।

ऐसे वैगनों के कारण रेलवे को हर्जाना भरना पड़ता है। इसलिए गाड़ी लिपिक को सभी सफल प्रयास कर वैगनो को कनेक्ट करने का प्रयत्न करना चाहिए। इस रजिस्टर में निम्न काॅलम होते है - 

वैगन नम्बर मालिक रेलवे वस्तु (कोमोडिटी)
स्टेशन (व्हीकल र्गाइ डेंस के अनुसार)
आगमन विवरण
वैगन को कनेक्ट करने के लिए उठाये गये कदम 
सही गंतव्य स्टेशन प्रथान विवरण
विलम्ब गाड़ी नं.
दिनांक
समय
दिनांक
समय से तक
गाड़ी नं. व दिनांक समय से
लेबलिंग और रिविटिंग
प्रत्येक भरे वैगन पर रंगीन पेंसिल द्वारा भरकर लेबल लगाये जाते है। जिसमे  वैगन के बारे मे  निम्नलिखित पूरी जानकारी रहती है -
  • स्टेशन कहाँ से कहाँ तक 
  • लदान की तारीख
  • आर.आर. नंबर 
  • भरे हुए माल डिब्बो  की संख्या व कुल वजन
  • माल की किस्म 
  • वैगन का खाली वजन
  • माल का वजन 
  • कुल वजन
  • ट्रांसिपमेंट या वाया लेबल
लेबल चार प्रकार के होते है -
  • पाॅकेट लेबल  
  • कोचिंग रेट का डिब्बे के लिये लेबल
  • सील लेबल 
  • पेपर लेबल
लेबलो  का निपटारा -
लोकल यातायात से प्राप्त किये गये लेबलों को एक महिने तक सुरक्षित रखा जाता है।
दूसरी रेलवे से प्राप्त लेबलों को और ट्रांसिपमेंट वाले लेबलों को 6 महिने तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
पेपर लेबलो  को माल उतरने के तुरंत बाद फाड़ देना चाहिए।
वैगन को सील करना: सभी बंद वैगनो  को जो भरे हुए हैं उन्हें सीलिंग वेक्स/लेड सील द्वारा सील करवाया जाना चाहिये। वैगन के 2 बोल्ट लगे होने पर दोनो  लेबलों को और दोनो  ओर की सीलो  को सम्भाल कर रखना चाहिये।
खतरनाक माल: खतरनाक माल से भरे हुए वैगनों को लैड सील द्वारा सील करवाना या किया जाना चाहिये। ऐसे वैगनों को रिविट नहीं लगाया जाता है। सील को ऐसे स्थान पर लगाना चाहिये कि ताला लगाने मे  असुविधा न हो।

वैगन को  रिविट करना: खतरनाक और विस्फोटक माल से भरे वैगनो  को छोड़कर सभी वैगनों को रिविट करना चाहिये। सील चैकिंग स्टेशन: सील चैकिंग स्टाॅक का यह अर्थ है कि सभी भरे हुए बंद वैगनो  को सही सील और रिविट बराबर लगे है और खुले वैगनो  पर चैक लाइन बराबर है। यदि वैगनों के रिविट बराबर है और सील टूटी हुई हो ऐसे वैगनो  को जहां आर.पी.एफ. स्टाफ न हो वहाँ स्टेशन मास्टर या यार्ड मास्टर के सामने सील करना चाहिये और अंतिम स्टेशन व इंजन चैंजिंग स्टेशन को भी सूचना भेजनी चाहिये। ऐसे स्टेशन के स्टेशन मास्टर को ऐसे वैगन की जांच करने के बाद संबंधित कर्मचारी/अधिकारियो  को सूचना देनी चाहिये। यदि वैगन में चोरी की संभावना हो तो जी.आर.पी. को अग्रिम कार्यवाही की सूचना भेजनी चाहिये। यदि थ्रू ट्रेन मे  बिना रिविट और सील का वैगन पाया जाये तो उसे आर.पी.एफ. स्टाफ के सामने जांच करवाकर दुबारा रिविट कर देना चाहिये।

प्रोरेटा अरेंजमेंट

ब्राॅडगेज एवं मीटरगेज में गाड़ी का लोड बढ़ाने और यूनिट कम करने के तरीके को प्रोरेटा अरेंजमेंट कहते है। ब्राॅडगेज में निर्घारित लम्बाई से अधिक यूनिट नहीं बढ़ाये जा सकते है लेकिन भार के अंदर अधिक से अधिक 100 टन बढ़ाया जा सकता है और प्रत्येक 10 टन भार बढ़ाने के लिए एक यूनिट कम करना होगा। इस प्रकार 10 यूनिट घटाकर 100 टन तक लोड बढ़ाया जा सकता है। मीटरगेज में लोड बढ़ाने की अनुमति नहीं हैं परंतु निर्धारित लम्बाई से अधिक यूनिट बढ़ाये जा सकते हैं।  साथ अधिकतम 75 यूनिट और अन्य इंजनो  के साथ 60 यूनिट तक लम्बाई बढ़ाई जा सकती है। इसके लिए 5 यूनिट और उसके भाग की वृद्धि के लिये 50 टन की दर से लोड कम करना होगा।
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